Thursday, 11 February 2021

एक ग़ज़ल-आज के दुष्यन्त को सब स्मरण हो जाएगा

 

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल-

स्वर्ग सा इस देश का वातावरण हो जाएगा


छल, कपट,और लोभ का यदि संवरण हो जाएगा

स्वर्ग सा इस देश का वातावरण हो जाएगा


प्रकृति का सौंदर्य कम कर आपने सोचा कभी

बाँध से नदियों के जल का अपहरण हो जाएगा


पंचवटियों में नया सोने का मृग फिर भेजकर

वह बहुत खुश था कि फिर सीताहरण हो जाएगा


तोतली भाषा है बच्चे की अभी मत टोकिए

कल यही  पाणिनि का सुन्दर व्याकरण हो जाएगा


आप अब तक पढ़ रहे दुष्यन्त का "साये में धूप"

कल हमारा शेर सबका उद्धरण हो जाएगा


झील,पर्वत,वन,नदी,बादल की पूजा कीजिए

फिर से धरती का सुखद वातावरण हो जाएगा


अब न राजा,ऋषि, न अँगूठी न शाकुन्तल वही

आज के दुष्यन्त को सब स्मरण हो जाएगा


जब कभी आतंक असुरों का बढ़ेगा देखना

राम या तो कृष्ण का फिर अवतरण हो जाएगा


आप पश्चिम के ही दर्शन में अगर डूबे रहे

वेद,गीता,उपनिषद का विस्मरण हो जाएगा


आप मानेंगे अगर अपने बुजुर्गों की सलाह

आपकी भी बात का कल अनुसरण हो जाएगा


कवि/शायर जयकृष्ण राय तुषार

चित्र -साभार गूगल 


18 comments:

  1. बहुत सुंदर ग़ज़ल है आपकी तुषार जी ।

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    1. हार्दिक आभार सर विलंब के लिए क्षमा

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 12-02-2021) को
    "प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है" (चर्चा अंक- 3975)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज गुरुवार 11 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. आप अब तक पढ़ रहे दुष्यन्त का "साये में धूप"
    कल हमारा शेर सबका उद्धरण हो जाएगा

    वाह...।
    बहुत ख़ूब

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  5. बहुत सुंदर सराहनीय गज़ल।
    सादर।

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  6. बहुत सुन्दर

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  7. शानदार सृजन..

    सादर प्रणाम..

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  8. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन ।
    अप्रतिम भाव संयोजन।

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