Thursday, 22 February 2024

एक होली गीत -रंग वो क्या जो छूट गया

चित्र साभार गूगल 


यह गीत 24 मार्च को अमर उजाला 
के मनोरंजन पृष्ठ पर प्रकाशित हो गया 



एक होली गीत -रंग वो क्या जो छूट गया


रंग वो क्या जो छूट गया
फिर क्या होली के माने जी.
असली रंग मिले वृंदावन
या गोकुल, बरसाने जी.

मन तो रंगे किशोरी जू से
लोकरंग से नश्वर काया,
श्याम रंग की चमक है असली
बाकी सब है उसकी माया,
यमुना में भी रंग उसी का
आओ चलें नहाने जी.

इत्र, ग़ुलाल, फूल टेसू के
निधि वन, गोकुल गलियों में
देव, सखी बनकर आते हैं
महारास, रंगरलियों में,
स्याम से मिलने चलीं गोपियाँ
सौ सौ नए बहाने जी.

कोई ब्रज रज, कोई लट्ठ मारती
कोई रंग, यमुना जल से,
कोई सम्मुख पिचकारी लेके
कोई रंग फेंके छल से,
सूरदास, हरिदास समझते
नन्द नंदन के माने जी.

कवि गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार
बरसाने की लट्ठमार होली चित्र साभार गूगल 


14 comments:

  1. रंग वो क्या जो छूट गया
    फिर क्या होली के माने जी.
    असली रंग मिले वृंदावन
    या गोकुल, बरसाने जी.

    बहुत ही मधुर होली गीत, सादर नमस्कार सर 🙏

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  2. सुन्दर गीत

    पधारें - href="https://rohitasghorela.blogspot.com/2024/02/blog-post.html">तुम हो तो हूँ

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  3. सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति
    http://vivekoks.blogspot.com/2024/02/blog-post_23.html

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 24 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  5. वाह! बहुत खूबसूरत गीत !

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  6. देव, सखी बनकर आते हैं
    महारास, रंगरलियों में,
    स्याम से मिलने चलीं गोपियाँ
    सौ सौ नए बहाने जी.
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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