चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -मौसम को प्यार हुआ
खेतों में
धान जला
गेहूं लाचार हुआ |
चकाचौंध -
शहरों से
मौसम को प्यार हुआ |
हम करैल
मिटटी में
कर्ज़ -सूद बोते हैं ,
ऋतुओं की
इच्छा पर
हँसते हैं रोते हैं ,
फागुन में
ओले थे
सावन अंगार हुआ |
कौओं की
चोंच धंसी
बैलों की खाल में ,
चुटकी भर
खैनी हम
दाब रहे गाल में ,
गाँव नहीं
गाँव रहा
अब तो बाज़ार हुआ |
गाँव रहा
अब तो बाज़ार हुआ |
सोने की
चिड़िया कब
पेड़ों पर गाती है ,
राजसभा
परजा को
सच कहाँ बताती है ,
मक़सद को
भूल गया