Wednesday 22 April 2020

एक गीत -चलो प्रिये ! गठरी ले




चित्र -साभार गूगल 
यह गीत गाँव की तरफ शहर से पलायन करने वाले छोटे कलाकारों,कामगारों और मजदूरों को समर्पित है
एक गीत -चलो प्रिये ! गठरी ले फिर अपने गाँव चलें 

चलो प्रिये !
गठरी ले 
फिर अपने गाँव चलें |
कुछ 
घोड़ागाड़ी से 
कुछ नंगे पाँव चलें |

चिड़ियों के 
नये -नये 
जोड़े फिर आयेंगे ,
पेड़ पर 
बबूलों के 
घोंसले बनायेंगे ,
पत्थरदिल 
शहरों से 
पीपल की छाँव चलें |

गाय -बैल ,
पिंजरे के 
तोते को खोलेंगे ,
छोटों को 
स्नेह ,बड़ों 
को प्रणाम बोलेंगे ,
कठवत में 
धोयेंगे 
दादी के पाँव चलें |

रिश्ते जो 
टूट गये 
फिर उनकों जोड़ेंगे ,
ठनक गये 
खेतों की 
मिटटी को फोड़ेंगे ,
घर के 
मुंडेरों पर सुनें 
काँव -काँव चलें |

आछी के 
फूल जहाँ 
मेहँदी के पात हरे ,
हँसती है 
भोर-साँझ
माँग में सिन्दूर भरे ,
आम और 
महुआ के 
फूलों के ठाँव चलें |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 


चित्र -साभार गूगल 

16 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 23 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



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    1. भाई रवीन्द्र जी आपका हार्दिक आभार

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  2. Replies
    1. आपका हार्दिक आभार आदरणीय |

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  3. बहुत सुन्दर।
    धरा दिवस की बधाई हो।
    सुप्रभात...आपका दिन मंगलमय हो।

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    1. आपका हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी |

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

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    1. आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार

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  5. वाह !बेहतरीन सृजन सर

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    1. आदरणीया अनीता जी आपका हार्दिक आभार

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  6. वाह! बहुत सुंदर गीत। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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  7. बहुत सुंदर

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  8. वाह!खूबसूरत गीत !

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