एक देशगान-आज़ादी का पर्व बड़ा है
आज़ादी का पर्व बड़ा है
मज़हब के त्योहारों से ।
आसमान को भर दो
अपनी खुशियों के गुब्बारों से ।
मातृभूमि के लिए मरा जो
वह सच्चा बलिदानी है,
जो दुश्मन से हाथ मिलाए
खून नहीं वह पानी है,
भारत माँ से माफ़ी माँगें
कह दो अब ग़द्दारों से ।
अनगिन फूलों का उपवन यह
यहाँ किसी से बैर नहीं,
जो सरहद पर आँख दिखाए
समझो उसकी खैर नहीं,
काँप गया यूनान,सिकन्दर
पोरस की तलवारों से ।
फिर बिस्मिल,आज़ाद
भगत सिंह बन करके दिखलाना है,
वन्देमातरम, वन्देमातरम
वन्देमातरम गाना है,
फहरायेंगे वहाँ तिरंगा
कह दो चाँद सितारों से ।
चित्र-साभार गूगल |