एक ग़ज़ल -
लिखने वाला अपने मन की प्रेम कहानी लिखता है
कोई राँझा-हीर तो कोई राधा रानी लिखता है
लिखने वाला अपने मन की प्रेम कहानी लिखता है
मीरा को भी सबने देखा अपनी-अपनी नज़रों से
कोई कहता जोगन कोई प्रेम दीवानी लिखता है
सब अपनी तकरीर में केवल बात विदेशी करते हैं
एक है तुलसीदास जो अपनी बोली-बानी लिखता है
हम दरिया के पास में बैठे कंकड़ पत्थर फेंक रहे
रेत में चलने वाला अपनी आँख में पानी लिखता है
प्रणय दिवस के अवसर पर सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका
Deleteहम दरिया के पास में बैठे कंकड़ पत्थर फेंक रहे
ReplyDeleteरेत में चलने वाला अपनी आँख में पानी लिखता है
बहुत खूब!! सुन्दर सृजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ।
हार्दिक आभार आपका
Deleteसुन्दर भावप्रवण कविता..
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteक्या कहने तुषार जी ! आपकी लेखनी में तो जादू है ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका सर जी
Deleteहम दरिया के पास में बैठे कंकड़ पत्थर फेंक रहे
ReplyDeleteरेत में चलने वाला अपनी आँख में पानी लिखता है
वाह !!!
बहुत सुंदर ...
आदरणीया शरद जी आपका हृदय से आभार
Delete