Tuesday, 27 October 2015

एक लोकभाषा गीत -ई दीवाली रहै ..

चित्र -गूगल से साभार 



एक लोकभाषा गीत -देश में अब हमेशा अजोरिया रहै 

ई चनरमा रहै ,
ना अन्हरिया रहै |
देश में हमरे 
हर दिन अजोरिया रहै |

सबके घर से अँधेरा 
मिटावै के बा ,
सबके देहरी रंगोली 
सजावै के बा ,
धूप खुलि के हंसै
ना बदरिया रहै |

झील में फूल सुन्दर 
कँवल कै खिलै ,
सब ठठाके हंसै
जब केहू से मिलै
हर सुहागन क 
चुनरी लहरिया रहै |

वीर सीमा प देशवा 
क रक्षा करैं ,
गाँव कै लोग खेती से 
अन -धन भरैं ,
गुड़ खियावत अतिथि के 
ओसरिया रहै |

पर्व -उत्सव से नाता 
न टूटै कभी ,
हाथ पकड़ीं त 
फिर -फिर न छूटै कभी ,
ई दीवाली रहै 
ई झलरिया रहै |




आज़मगढ़ के गौरव श्री जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद

 श्री जगदीश प्रसाद बरवाल कुंद जी आज़मगढ़ जनपद के साथ हिन्दी साहित्य के गौरव और मनीषी हैं. लगभग 15 से अधिक पुस्तकों का प्रणयन कर चुके कुंद साहब...