चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार |
हे बापू हमें क्षमा करना
हम भूल गए पन्द्रह अगस्त |
तुमने तो इसे बुलंदी दी
हो गया हमीं से अस्त -व्यस्त |
रंगे कोयले के रंगों में
उजले -धुले वस्त्र खादी के ,
लाल किले से झूठे भाषण
मुखिया पढ़ता आज़ादी के ,
महंगाई ,भ्रष्टाचार ,निकम्मे
शासन से हौसले पस्त |
अब जागरूक जनता को भी
नेता असत्य समझाते हैं ,
संसद में जाकर सोते हैं
ये जन गण मन कब गाते हैं ,
हो गया देश यह हवनकुंड
लेकिन दिल्ली है मस्त -मस्त |
हे राष्ट्रपिता क्या आज़ादी की
यह तस्वीर तुम्हारी है ?
टू जी थ्री जी सब पचा गए
अब अगले की तैयारी है |
उन वीर शहीदों के सपने
सब मंसूबे हो गए ध्वस्त |
वैभव ,वीरों से भरे हुए हम
इतना क्यों असहाय हुए ,
अब तो अपना है संविधान
फिर इतना क्यों निरुपाय हुए
सो गए पहरुए जनता के
बस कागज पर लग रही गश्त |
बस कागज पर लग रही गश्त |
अब जागरूक जनता को भी
ReplyDeleteनेता असत्य समझाते हैं ,
संसद में जाकर सोते हैं
ये जन गण मन कब गाते हैं ,
वर्तमान नियंताओं की वास्तविकता को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने ....!
baapu to kshama ker denge ... per hamari aatma ?
ReplyDeletevande matram
अब जागरूक जनता को भी
ReplyDeleteनेता असत्य समझाते हैं ,
संसद में जाकर सोते हैं
ये जन गण मन कब गाते हैं ,
हो गया देश यह हवनकुंड
लेकिन दिल्ली है मस्त -मस्त |
काबिल -ए- तारीफ देश-प्रेम का जज्बा , राष्ट्र -चिंतन ,शुभकामनायें ..../.... सद-बचन
"जो तो प्रेम खेलन का चावो.,सिर धर तली गली मेरे आओ "
"बोले सो हो निहाल ,सत श्री अकाल ......./
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteबापू को बोलने लायक छोड़ा ही कहाँ है हमने...
नीरज
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteहम तो मुँह दिखाने के काबिल ही नहीं हैं।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
एकदम सटीक .
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.
अब जागरूक जनता को भी
ReplyDeleteनेता असत्य समझाते हैं ,
संसद में जाकर सोते हैं
ये जन गण मन कब गाते हैं
स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाएँ
बेहद मार्मिक और सटीक अभिव्यक्ति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
acchi prstuti... jai hind....
ReplyDeleteबापू से क्षमा की मांग सकते हैं। आज उनके राजघाट पर बैठ हम लोकतंत्र की दुहाई ही दे रहे हैं ..
ReplyDeleteपहले लाल किले और राजपथ पर हमारे नेता सफ़ेद गाड़ियों में आते थे...आज काली कारों में आते हैं...बापू के दिल से पूछो क्या बीतती होगी...हर तरफ हाहाकर मचा है...और संसद हमारी एकदम मस्त...जबतक हम तकनीकी रूप से आगे नहीं बढ़ते...ये आज़ादी बेमानी है...हर तकनीक के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर करना कहाँ की आज़ादी है...पहले एक ईस्ट इण्डिया थी अब विदेशी वस्तुओं और कंपनियों की भरमार है...और सरकार इसे आर्थिक उदारता का रूप दे कर तरक्की बताती है...भारतेंदु का दर्द अब शिद्दत से महसूस होता है...घर की तो बस मूंछें ही मूछें हैं...अपनी आबादी को उपयोग में ला के चीन कहाँ से कहाँ पहुँच गया...और हम भ्रष्टाचारियों और गद्दारों से जूझ रहे हैं...सरकार की ओर से कोई सुधरने की मंशा भी नहीं दिखती...बापू तो माफ़ कर भी देंगे...पर देश की जनता कैसे कर पाएगी...
ReplyDeleteबहुत गहनता के साथ भावों को प्रस्तुत किया है आपने
ReplyDelete| हार्दिक शुभकामनाएं|