Saturday 11 March 2023

एक गीत -भूले बिसरे लोग सफ़र में


चित्र साभार गूगल 



दो रंगो के फूल शाख पर

भूले बिसरे
लोग मोड़ पर
मिलते कभी -कभी.
दो अनजाने 
साथ सफ़र में
चलते कभी -कभी.

सपनों के
भी रंग
गुलाबी, पीले, काही से,
अच्छे मौसम
को लिखना
खुशबू की स्याही से,
दो रंगों के 
फूल डाल पर
खिलते कभी -कभी.

सुंदर पंखो
वाली चिड़िया
लौटी बरसों बाद,
उसे देखकर 
गीत पुराना
आया फिर से याद,
आँचल के
साये में दीपक
जलते कभी -कभी.

यात्राओं में भी
हम कितने
रिश्ते बुनते हैँ
राग पहाड़ी
में खो जाते
वंशी सुनते हैँ,
बिना हवाओं
के भी पत्ते
हिलते कभी -कभी.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 

Wednesday 8 March 2023

कुछ दोहे -तुलसी के भी राम हैँ कबिरा के भी राम


सीता राम 



रामराज्य की देखिए सुंदर सी तस्वीर
तुलसी भी सुख चैन से दुःख में नहीं कबीर

निराकार, साकार कवि चाहे जो दे नाम
तुलसी के भी राम हैँ कबिरा के भी राम

खत्म हुआ वनवास फिर घर लौटे श्रीराम
दीपोत्सव की ज्योति में जगमग सरयू धाम

पशु, पक्षी, किन्नर, अधम वनवासी से प्यार
सकल सृष्टि कण मात्र में ईश्वर का संसार

बरसाना, ब्रजभूमि हो या सरयू का धाम
सबके राधा श्याम हैँ सबके सीता राम

काशी में सब पुण्य है शिव संग गंगा नीर
एक साथ में अर्घ्य दें वैष्णव, शैव, कबीर

ईश्वर सच्चे भक्त का करते हैँ उद्धार
राम प्रिया फिर हो गयी शबरी सी लाचार

पूजा, जप, तप, आस्था सत्य सनातन मूल
श्रद्धा हो सब ठीक है गुड़हल, गेंदा फूल

शुक्ल पक्ष में चैत में नवमी का आभार
रावण के संहार को लिए राम अवतार

चित्रकूट, श्रृंग्वेरपुर, भारद्वाज के राम
जिस पथ में पग राम के समझो चारो धाम

रामचरित किसने लिखा गोस्वामी के बाद
मौलिकता के सामने टिका कहाँ अनुवाद

सिंहासन जिसको मिला उसे हुआ अभिमान
त्रेता में भाई भरत सिर्फ रख सके मान

गंगा, जमुना, नर्मदा या सरयू के तीर
सबके अपने पुण्य हैँ सबकी अपनी पीर

संतों, ऋषियों का ऋणी यह आर्यों का देश
हमें दे गए ज्ञान का वैभव युक्त प्रदेश

कवि जयकृष्ण राय तुषार

सभी चित्र साभार गूगल 

राधा कृष्ण 


Thursday 2 March 2023

एक ग़ज़ल -इस बार होली में

चित्र साभार गूगल 

चित्र साभार गूगल 

मित्रों आप सभी को रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनायें

बुरा न मानो होली है यह सनातन पर बना रहे सभी के जीवन में खुशियों का रंग बिखेरता रहे.

एक ग़ज़ल -होली में


न पहले की तरह मस्ती नहीं किरदार होली में
बिना शब्दों की पिचकारी के हैँ अख़बार होली में

न फगुआ है न चैता है नहीं करताल ढोलक है
भरे रिमिक्स गानों से सभी बाज़ार होली में

पुलिस, सैनिक हमारे पर्व में ड्यूटी निभाते हैँ
सदा खुशहाल उनका भी रहे परिवार होली में 

निराला, पंत, बच्चन, रामजी पांडे के दिन क्या थे
महादेवी के घर कवियों का था दरबार होली में 

सियासत की खुशामद कीजिए सच बोलिएगा मत
कहाँ अब व्यंग्य सुनती है कोई सरकार होली में

व्यवस्था न्याय की मँहगी, बिलंबित औ थकाऊ है
इसे मी लार्ड थोड़ा दीजिये रफ़्तार होली में 

नयन काजल लगाए रास्ते में छू गया कोई
गुलाबी हो गए मेरे सभी अशआर होली में

हमारा राष्ट्र सुंदर है हमारी संस्कृति अनुपम
हमारे राष्ट्र के दुश्मन जलें इस बार होली में 

शहर में बस गए बचपन के साथी गाँव सूने हैँ
अबीरें रख के तन्हा है मेरा घर द्वार होली में 

नहीं अब फूल टेसू के मिलावट रंग, गुझिया में
कहो मौसम से अब कोई न हो बीमार होली में 

मवाली माफिया जेलों में बिरयानी लिए बैठे
कहाँ सिस्टम में खामी सोचिए सरकार होली में

नहीं अब कृष्ण, राधा हैँ न गोकुल, नन्द बाबा हैँ
कहाँ अब गोपियों सी भक्ति सच्चा प्यार होली में

नहीं चौपाल पर अब भाँग, सिलबट्टा न होरी है
न भाभी और देवर की बची मनुहार होली में

गली में झूम जोगीरा सुनाती मण्डली गायब
शिवाले पर नहीं पहले सी अब जयकार होली में

कवि जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र साभार गूगल 


एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...