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श्री कृष्ण अर्जुन |
अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन
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चित्र साभार गूगल |
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श्री कृष्ण अर्जुन |
अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन
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चित्र साभार गूगल |
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भारत माता |
एक देशगान
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माननीय प्रधानमंत्री जी |
संकट में था
सिंदूर
सनातन, महाकाल.
हिमशिखर
पिघलने लगे
सिंधु में है उबाल.
तन गयी
भृकुटि मोदी जी
हैं रुद्रावतार,
फिर कुपित
राम की सेना
लंका पर प्रहार,
निकलो
वीरों त्रिशूल के
संग लेकर मशाल.
काफ़िर
मत कहना
मूर्ख सुदर्शन चक्र देख,
विषपाई
शिव की
भृकुटि हो गयी वक्र देख,
चित्कार
तुम्हारी सुन
भारत माता निहाल.
अब भजन
नहीं मंदिर में
फूंको पांचजन्य,
इस महाप्रलय
से सजग रहें
अब शत्रु अन्य,
भर जाय
रक्त से दुश्मन का
हर झील, ताल
वन्देमातरम. जय हिन्द
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भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी और चाणक्य माननीय गृहमंत्री जी |
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गुलमोहर चित्र साभार गूगल |
एक गीत -गुलमोहर खिलते हुए
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चित्र साभार गूगल |
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भारतीय वायुसेना |
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भारत माता |
एक देशगान -गर्जना करोगे कब तक वीरों आसमान में
गर्जना करोगे
कब तक
वीरों आसमान में.
आतंकी दुश्मन
बैठा है
अब भी गुमान में.
दुश्मन के
सीने पर
चढ़कर हुंकार भरो,
राक्षस
वध करना है
नृसिंह अवतार धरो,
जयकार
तिरंगे की हो
इस दुनिया जहान में.
पृथ्वी, त्रिशूल,
ब्रम्होस
अग्नि ज्वाला निकलो,
मेवाड़
महाराणा के
ले भाला निकलो,
रावलपिंडी को
बदलो
जलते श्मशान में.
अब मौन करो
भारत विरुद्ध
आवाज़ो को,
दुश्मन पर
छोड़ो गरुड़
भयंकर बाजों को,
अब ज़हर
न उगले कोई भी
दुश्मन अज़ान में.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
ग़ज़ल -लोटे के जल में फूल रखते हैं
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चित्र साभार गूगल |
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जय महाकाल |
एक देशगान -भारत माता की मिट्टी को
भारत माता की
मिट्टी को
जो अपने माथ लगाते हैं.
हम उनके
गीत सुनाते हैं
हम उन पर पुष्प चढ़ाते हैं.
इस देश में
गंगा बहती है
चिड़ियों के झुण्ड चहकते हैं,
वैदिक मंत्रो से
यज्ञ कुंड,
पूजा के फूल महकते हैं,
दुनिया के
मंगल के खातिर
देवालय शंख बजाते हैं.
गीता
जीवन का दर्शन है
मानस संताप मिटाता है,
संकट पड़ने पर
भारत ही
दुनिया को मार्ग दिखाता है,
ईश्वर बनकर
प्रभु राम यहाँ
रावण का दर्प मिटाते हैं.
भारत माता
के कुछ कुपुत्र
दुश्मन से यारी करते हैं,
इसकी छाया में
पलकर भी
इससे गद्दारी करते हैं,
असुरों के
कुत्सित कार्यों पर
ये अक्सर जश्न मनाते हैं.
भारत माता का
स्वर्ण मुकुट
सदियों तक चमक बिखेरेगा,
उसका
अस्तित्व नहीं होगा
जो इसको आँख तरेरेगा,
हम महाकाल
के तांडव हैं
हम सामवेद भी गाते हैं.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
एक देशगान -बाज़ उड़ाओ
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भारत माता |
पाकिस्तान का आतंकी खेल अब हमेशा के लिए खत्म किया जाना चाहिए. मजहब के नाम पर आतंकी हमला किया जा रहा है यह अघोषित युद्ध है. हमको अब इजरायल की तर्ज़ पर निर्णायक वार करना होगा. अन्यथा यह अंतहीन गाथा बन जाएगी. अमेरिकी उप राष्ट्रपति भारत दौरे पर हैं इसके बावजूद भारत में आतंकी हमला. शर्मनाक. भारत सरकार अब सेनाओं को खुली छूट दे और इस आतंक की जड़ को खत्म करे.वन्देमातरम. जयहिंद
एक भिखारी मुल्क
चुनौती
देता हिंदुस्तान को.
दुनिया के
नक्शे से गायब
कर दो पाकिस्तान को,
बाज़ उड़ाओ
श्वेत कबूतर
कब तक यहाँ उड़ाओगे,
कब तक सत्य-
अहिंसा वाला
झूठा गीत सुनाओगे,
अब ब्रम्हास्त्र
चलाकर मारो
सदियों के शैतान को.
बार -बार आतंकी
घेरो -मारो
यही कहानी है,
फिर धरती
कुरुक्षेत्र बना दो
इसमें क्या हैरानी है,
सूर्य निगल
जाये जो पल में
याद करो हनुमान को.
सत्य अहिंसा
के सीने पर
वार सहेंगे आख़िर कब तक,
सैन्य शक्ति
के रहते भी
लाचार रहेंगे आख़िर कब तक
ख़त्म करो
जो आँख उठाकर
देखे हिंदुस्तान को.
आँख दिखाते
बांग्लादेशी
कैसी नीति हमारी है,
घात लगाए
दुश्मन बैठे
घर में भी गद्दारी है,
कब्जे में लो
सिंध कराची
और बलूचिस्तान को.
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तिरंगा |
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
एक ताज़ा गीत -लहरें गिनना भूल गए
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र -गूगल से साभार |
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चित्र -गूगल से साभार |
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चित्र -गूगल से साभार |
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चित्र साभार गूगल |
एक गीत -दिल्ली में यमुना का उत्सव
दिल्ली में यमुना की सफाई पर नई सरकार की पहल सराहनीय है. देश की नदियाँ हमारे पर्व उत्सव और जीवन को उल्लासमय बनाती हैं. सभी नदियों को सम्मान और आदर देना होगा तभी सृष्टि बचेगी.
दिल्ली में
यमुना के जल में
शंख बजाते लोग.
कालिंदी की
मुक्ति के लिए
मन्त्र सुनाते लोग.
इंसानों की
बस्ती जल में
गाद भर गयी है,
कृष्ण प्रिया की
रोते -रोते
आँख भर गयी है,
पंडित के
संग फिर पूजा की
थाल सजाते लोग.
नदियाँ अगर
मृत हुईं
उत्सव कहाँ मनाएंगे,
किसके
तट पर व्यास
भागवत कथा सुनाएंगे,
द्वापर जैसा
यमुना जल में
कहाँ नहाते लोग.
मगरमच्छ मत
बनिए, बनिए
भक्त भगीरथ सा,
हर सरिता का
घाट सजे फिर
पावन तीरथ सा,
कंस मरा
फिर यमुना तट पर
फूल चढ़ाते लोग.
हरी दूब के
दिन फिर लौटे
प्रातः वंदन है,
एक उपेक्षित
माँ का घर में फिर
अभिनंदन है,
संध्याओं को
लहर -लहर पर
दीप जलाते लोग.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
आप सभी का दिन शुभ हो
एक प्रेम गीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ
आसपास है कोई
जिसको ख़बर नहीं
उसकी यादों में
मैं गीत सुनाता हूँ.
हँसी होंठ पर और
आँख में पानी है,
मौसम भी ये गीतों
भरी कहानी है,
तितली, फूल, पतंगे,
बारिश में जुगनू
मैं अपनी कविता में
यही सजाता हूँ.
मुझे देख रुपसियों ने
श्रृंगार किया,
मैं दरपन था मुझसे
किसने प्यार किया,
मिटी नहीं तसवीर
सुनहरी यादों की
मैं अलिखित पत्रों में
फूल सजाता हूँ.
यात्राओं में मिला
मगर संवाद नहीं,
इंद्रधनुष को
बंज़रपन की याद नहीं,
नये नये चंदन वन
की ये खुशबू है
मैं खुशबू के साथ
नहीं उड़ पाता हूँ.
हर मौसम में देखे
नदियों की धारा,
सामवेद कैसे गाता
मैं बंजारा,
वीणा संग मृदंग और
कुछ मादल भी
वंशी लेकर वृन्दावन
तक जाता हूँ.
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
एक ताज़ा गीत -गंगा सा निर्मल मन
गंगा सा
निर्मल मन
माथ -माथ चंदन है.
संगम की
रेती में
सबका अभिनन्दन है.
थके -थके
पाँव मगर
मन में उत्साह प्रबल,
महाकुम्भ
दर्शन को
आतुर है विश्व सकल,
मणिपुर-
केरल,काशी,
पेरिस औ लंदन है.
कालिंदी
गंगा का सुखद
मिलन बिंदु यही,
भक्तों की
आस्था का
एक महासिंधु यही,
संत और
अखाड़ों का
यहाँ वहाँ वंदन है.
ब्रह्मा की
यज्ञ भूमि
तीर्थराज कहते हैं,
द्वादश माधव
इसमें रक्षक
बन रहते हैं,
यह तो
रविदास की
कठौती का कँगन है.
कवि
जयकृष्ण राय तुषार
यह प्रयाग कुम्भ गीत का अलबम रिलीज
मैंने 2001 में महाकुम्भ इस गीत का सृजन किया था रेडिओ कलाकारों के साथ कुछ स्थानीय गायकों द्वारा इसे स्वर दिया गया. लेकिन मेरी शुभचिंतक श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी जी ने कमाल कर दिया. विख्यात भजन गायक पद्मश्री श्री अनूप जलोटा जी के साथ गाकर मेरे गीत को अमर कर दिया. संगीत भाई श्री विवेक प्रकाश जी का है. इसे red ribbon musik ने रिलीज किया है. यह मेरे लिए सुखद और शानदार अनुभव है. भजन सम्राट श्री अनूप जलोटा, मेरे लिए परम आदरणीया श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी एवं भाई श्री विवेक प्रकाश के प्रति एवं red ribbon musik के प्रति मैं हृदय से आभारी हूँ. आप सभी इस महाकुम्भ गीत को सुनें और आशीष प्रदान करें. जय तीर्थराज प्रयाग. जय गंगा, जमुना सरस्वती मैया. जयहनुमान जी
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श्री विवेक प्रकाश पद्मश्री श्री अनूप जलोटा जी एवं गायिका श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी जी |
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श्री अनूप जलोटा जी श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी जी एवं श्री विवेक प्रकाश जी |
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दैनिक भाष्कर |
यह प्रयाग है |
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चित्र साभार गूगल |
दस्तक न दो किवाड़ पे , खुशबू कमल के साथ
मशरूफ़ हूँ मैं इन दिनों अपनी ग़ज़ल के साथ
अब चाँदनी का अक्स निहारुँ क्या झील में
मौसम की जंग में हूँ मैं अपनी फसल के साथ
कुछ दिन जियेंगे लोग गलतफहमियों के संग
फिर आ गया है गाँव में कोई रमल के साथ
दरिया के पानियों पे नज़ारे हसीन हैं
कैसे परिंदे चोंच लड़ाते हैं जल के साथ
धरती से लोकरंग मिटाने की ज़िद न कर
जिन्दा रहें ये रंग जरुरी बदल के साथ
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
एक ताज़ा ग़ज़ल
पर्वत, नदी, दरख़्त, तितलियों को प्यार दे
अपनी हवस को छोड़ ये मौसम संवार दे
इतना ग़रीब हूँ कि इक तस्वीर तक नहीं
सपनों में आके माँ कभी मुझको पुकार दे
मुझको भी तैरना है परिंदो के साथ में
संगम के बीच माँझी तू मुझको उतार दे
झूले पे मैं झुलाऊँगा राधा जू स्याम को
चन्दन की काष्ठ, भक्ति से गढ़के सुतार दे
दुनिया की असलियत को परखना ही है अगर
ए दोस्त मोह माया का चश्मा उतार दे
काशी में तुलसीदास या मगहर में हों कबीर
दोनों ही सिद्ध संत हैं दोनों को प्यार दे
जिस कवि के दिल में राष्ट्र हो वाणी में प्रेरणा
उस कवि को यह समाज भी फूलों का हार दे
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
श्री कृष्ण अर्जुन अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन केशव की गीता कहती है युग के जैसा व्यवहार करो. अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन दुश्मन पर प्रबल प्र...