चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -यह मिट्टी हिन्दुस्तान की
इस मिट्टी का क्या कहना
इस मिट्टी का क्या कहना
यह मिट्टी हिन्दुस्तान की |
यह गुरुनानक ,तुलसी की है
यह दादू ,रसखान की |
इसमें पर्वतराज हिमालय ,
कल-कल झरने बहते हैं ,
इसमें सूफ़ी ,दरवेशों के
कितने कुनबे रहते हैं ,
इसकी सुबहें और संध्यायें
हैं गीता ,कुरआन की |
यहाँ कमल के फूल और
केसर खुशबू फैलाते हैं ,
हम आज़ाद देश के पंछी
नीलगगन में गाते हैं ,
इसके होठों की लाली है
जैसे मघई पान की |
सत्य अहिंसा ,दया ,धर्म की
आभा इसमें रहती है ,
यही देश है जिसमें
गंगा के संग जमुना बहती है ,
अपने संग हम रक्षा करते
औरों के सम्मान की |
गाँधी के दर्शन से अब भी
इसका चौड़ा सीना है ,
अशफाकउल्ला और भगत सिंह
का यह खून -पसीना है ,
युगों -युगों से यह मिट्टी है