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कवयित्री -यासमीन सुलताना नकवी सम्पर्क -09335883517 |
यासमीन एक फूल का नाम है शायद इसीलिए डॉ० यासमीन सुलताना नकवी को प्रकृति और फूलों से बेहद लगाव है और लगाव है हिंदी से | डॉ० यासमीन सुलताना नकवी लगभग पांच वर्षों तक [2005-2010]जापान के प्रतिष्ठित ओसाका विश्व विद्यालय में हिंदी की प्रोफ़ेसर रह चुकी हैं |भारतीय गंगा -जमुनी तहजीब और साझा संस्कृति को आगे बढ़ाने वाली यह कवयित्री भारत और जापान के बीच भी एक सांस्कृतिक पुल का काम कर रही है |यासमीन सुलताना नकवी महान कवयित्री महादेवी वर्मा की सुयोग्य शिष्या भी हैं |लगभग सत्रह वर्षों तक यह कवयित्री महादेवी के सानिध्य में रही है |इलाहाबाद में जन्मीं यासमीन सुलताना नकवी का हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओँ में समान अधिकार है |जापानी भाषा भी इन्हें आती है |इस कवयित्री का जन्म 18-10-1955को इलाहाबाद के क़स्बा मेंद्दारा [mendara] में हुआ था |इनकी शिक्षा एम० ए० हिंदी ,समाजशास्त्र में और पी० एच० डी० हिंदी में संपन्न हुई थी |प्रारम्भिक दिनों में प्रयाग महिला विद्यापीठ महाविद्यालय में [इसी महाविद्यालय में महादेवी वर्मा भी पढ़ाती थीं ]तत्पश्चात सेंट जोसेफ़ रीजनल सेमिनरी में धर्मशास्त्र एवं दर्शन शास्त्र विभाग में अध्यक्ष रहीं |बाद में ओसाका विश्व विद्यालय जापान में हिंदी के प्रोफ़ेसर का पद सम्हाला |आज भी यासमीन जी साकूरा की बयार नामक हिंदी पत्रिका का संपादन करती हैं |इस पत्रिका से जापान के हिंदी लेखक भी जुड़े हैं |यासमीन का पूरा जीवन हिंदी भाषा और साहित्य के लिए समर्पित है |इनकी अब तक लगभग 26 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ,सबका नाम यहाँ दे पाना संभव नहीं है कुछ पुस्तकें -----फूलों के देश में प्रेम का रंग [काव्य संग्रह ]हिम तृष्णा [काव्य संग्रह ]त्रिवेणी [काव्य संग्रह ]पत्थर की खुशबू ,कविता की परछाई ,सभी काव्य संग्रह कलरव नाटक महादेवी वर्मा और मैं ,मैं इनके पास दोनों ही संस्मरण |तमाम सम्मानों ,पुरस्कारों से सम्मानित इस कवयित्री की पांच कवितायें और उनका परिचय हिंदी पखवारा के अवसर पर आप तक पहुँचा रहे हैं |आपका स्नेह अपेक्षित है |
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समन्वय संस्था के वार्षिक समारोह में महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ श्री शेखर दत्त जी के साथ सुश्री यासमीन सुल्ताना नकवी [04-11-2012 इलाहाबाद ] |
डॉ० यासमीन सुलताना नकवी की पांच कविताएँ
एक
टोकियो टॉवर से
दुनिया के मेहनती लोगों
तुम परिश्रम के अथाह सागर हो
तुम्हारे धैर्य को और तुमको मैं देखती हूँ
ताज़महल की नक्काशी में ,चारमीनार के
हिलते -डुलते अजूबों में
अजंता और एलोरा की गुफाओं के
रेखांकन में ,कोणार्क और मीनाक्षी
मंदिर के तोड़ों में ,खजुराहो के
कन्दारिया महादेवन में
मुगलों के महलों के झरोखों और द्वारों से
झाँकती तुम्हारी आँखे ,उँगलियाँ
मुठ्ठी ,हथौड़ी ,छेनी लिए मैं तुम्हें
देखती हूँ टोकियो टॉवर से
खेतों के बीच फावड़ा लिए हर क्षेत्र में
ओसाका और कोबे के समुद्र तट पर
ऊँचे -ऊँचे पहाड़ों पर ,यह फावड़ा
तुम्हारी कलम तुम्हारा हथियार
तुम्हारा तीर कमान इसी से बने हो महान |
दो
साकूरा की साँसों में
झुक गए हैं सारे वृक्ष फूलों की भरमार से
सहारा दे रही हैं टहनियाँ गुलों के प्यार से
बरसों -बरस से आँखे बिछाए
साँसों की गिनती का विश्वास बिछाए
खत्म हुई इंतज़ार की घड़ियाँ
जो थे फूलों पर आस लगाए
आ गया साकूरा बाँहों को पसारे
डूब गईं टहनियाँ साकूरा के फूलों की बाहों में
जैसे डूबती हो आवाज हवाओं में
निशाकर ज्योत्सना के आंचल में
सूरज किरणों के झुरमुट में
आओ तुम भी डूबो मानवता की राहों में
जैसे जापान डूबा है
फूलों के रंगों में साकूरा की साँसों में |
तीन
घटाएं हैं गोपियाँ
पूरी तरह आज भी
सूरज बदलियों के संसर्ग में है
बदली बनी है राधा
घटाएँ हैं गोपियाँ
सूरज बना है कन्हैया
सागर तट से पवन डोले
हय्या ओ हय्या !
चार
बरसते हुए बादल
जो उपहार दिया है तूने
मुझे यहाँ
उसका हज़ार बार शुक्रिया
इच्छाएँ तो हैं ज्वार -भाटा
इन्हें देखकर ऐसा है लगता
किसी नदी के किनारे
एक नींड़ बना लूँ
प्रकृति का प्यार
जहाँ से बैठकर देख सकूँ
बरसते हुए बादलों की
मनमोहनी सलोनी शक्ल |
पांच
जापानी मौसम
यह पागल करने वाला मौसम
उड़न खटोले पर उड़ने वाला मौसम
बादल की चद्दर वाला मौसम
धरती से अम्बर तक प्यार भरा सलोना मौसम
भर कर आँखों से अपने
दूध का दरिया
बादलों का छाछ जापानी मौसम |
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साकूरा जापान का राष्ट्रीय फूल है [चित्र गूगल से साभार ] |
[कवयित्री पांच वर्षों तक जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ा चुकी हैं |इस समय साकूरा की बयार हिंदी पत्रिका की संपादक हैं |साकूरा जापान का राष्ट्रीय फूल है |