Sunday, 29 December 2019

एक गीत - नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ -


चित्र -साभार गूगल 


एक गीत नववर्ष -बाग़ को चन्दन करे 

धुन्ध को 
फिर से पराजित 
सूर्य का स्यन्दन करे |
अब अयोध्या 
और सरयू 
राम का वन्दन करे |

वर्ष नूतन 
आ रहा तो 
आचरण भी नव्य हो ,
देश के 
उत्थान का 
वातावरण भी भव्य हो ,
बेटियों को 
हर पिता दे 
मान -अभिनन्दन करे |

संस्कारित हो 
नई पीढ़ी 
सुशासन में पले ,
राह में सबकी 
अकम्पित 
ज्योति दीपक की जले ,
एक वासंती 
परी हर 
बाग़ को चन्दन करे |

बाँसुरी के 
होंठ 
वन्देमातरम का गीत हो ,
राष्ट्र का 
वैभव बढ़े दुश्मन ,
हमारा  मीत हो ,
हर असैनिक 
और सैनिक 
राष्ट्र का वन्दन करे |

माघ -मेला 
और संगम 
संत -जन का आगमन हो ,
विश्व मंगल 
यज्ञ -आहुति 
और सबका पुण्य -मन हो ,
शुभ्र गंगा 
की लहर में 
विहग स्पन्दन करे |

चित्र -साभार गूगल 

Tuesday, 24 December 2019

एक गीत -राष्ट्रधर्म से बड़ा नहीं कुछ



चित्र -साभार गूगल 

एक गीत -राष्ट्रधर्म से बड़ा नहीं कुछ 

राष्ट्रधर्म से 
बड़ा नहीं कुछ 
मत बेचो ईमान को |

जाति -धर्म से 
उपर उठकर 
बदलो हिन्दुस्तान को |

गंगा की 
अमृत धारा में 
विष का अर्क न घोलो ,
सिंह गर्जना 
करके भारत-
माता  की जय बोलो ,

तोड़ न 
पाये सारी दुनिया 
भारत के अभिमान को |

दुश्मन के 
नापाक इरादे 
खतरनाक हैं संभलो ,
जयचंदों 
के षड्यन्त्रों को 
"पृथ्वी " बनकर कुचलो ,

कभी न पहुंचे 
ठेस तिरंगे -
जन गण के सम्मान को |
चित्र -साभार गूगल 



Sunday, 22 December 2019

एक गीत -राम- कृष्ण -गंगा की धरती भारत ! इसे प्रणाम करो




एक गीत -राम -कृष्ण -गंगा की धरती भारत !
इसे प्रणाम करो 

राम-कृष्ण 
गंगा की धरती भारत !
इसे प्रणाम करो |
जिस मिटटी में 
जन्म लिए 
यह जीवन उसके नाम करो |

हमें प्रज्ज्वलित 
करना है फिर 
बुझती हुई मशालों को ,
दन्तहीन 
करना होगा 
अब सारे विषधर व्यालों को ,
इसे द्वारिका पुरी 
बना दो 
या सरयू का धाम करो |

खतरे में है 
देश हमारा 
पढ़े -लिखे गद्दारों से ,
षड्यन्त्रों की 
बू आती है 
मजहब की दीवारों से ,
देश विरोधी 
गतिविधियों से 
इसको मत बदनाम करो |

भारत सबका 
आश्रयदाता 
सबसे साथ निभाता है ,
एक साथ सूफ़ी 
गुरुवाणी 
कीर्तन मौसम गाता है ,
संविधान का 
आदर करना 
सीखो मत संग्राम करो |

सभी चित्र -साभार गूगल 

Saturday, 7 December 2019

एक गीत -स्वर्णमृग की लालसा


चित्र -साभार गूगल 

एक गीत -स्वर्णमृग की लालसा 

स्वर्ण मृग की 
लालसा 
मत पालना हे राम !
दोष 
मढ़ना अब नहीं 
यह जानकी के नाम |

आज भी 
मारीच ,रावण 
घूमते वन -वन ,
पंचवटियों 
में लगाये 
माथ पर चन्दन ,
सभ्यता 
को नष्ट करना 
रहा इनका काम |

लक्ष्मण रेखा 
विफल 
सौमित्र मत जाना ,
शत्रु का 
तो काम है 
हर तरफ़ उलझाना ,
चूक मत करना 
सुबह हो ,
दिवस हो या शाम |

Friday, 6 December 2019

एक गीत -कैक्टस का युग



चित्र -साभार -गूगल 

एक गीत - कैक्टस का युग 

कैक्टस का
युग कहाँ 
अब बात शतदल की ?
हो गयी 
कैसे विषैली 
हवा जंगल की |

फेफड़ों में
दर्द भरकर 
डूबता सूरज ,
हो गया 
वातावरण का 
रंग कुछ असहज ,
अब नहीं 
लगती सुरीली 
थाप मादल की |

भैंस के 
आगे बजाते 
सभी अपनी बीन ,
आज के 
चाणक्य ,न्यूटन 
और आइन्स्टीन ,
कोयले की 
साख बढ़ती 
घटी काजल की |

रुग्ण सारी 
टहनियों के 
पात मुरझाये ,
इस तुषारापात में
चिड़िया 
कहाँ गाये ,
मत बनो 
चातक बुझाओ 
प्यास बादल की |

भोर का 
कलरव 
लपेटे धुन्ध सोता है ,
एक लोकल 
ट्रेन जैसा 
दिवस होता है ,
किसे 
चिन्ता है 
हमारे कुशल -मंगल की |

सभी चित्र साभार गूगल 

एक आस्था का गीत. देवभूमि उत्तराखंड

  भगवान केदारनाथ यह ऋषियों की भूमि यहां की कथा निराली है। गंगा की जलधार यहां अमृत की प्याली है। हरिद्वार, कनखल, बद्री केदार यही मिलते फूलों ...