Saturday 6 February 2021

देवगंगा हो हमारी या तुम्हारी नर्मदा हो

 

काशी गंगा घाट

एक गीत-

देवगंगा हो हमारी या तुम्हारी नर्मदा हो


देव गंगा हो 

हमारी या

तुम्हारी नर्मदा हो ।

घाट पर

उत्सव मनाती

संस्कृति यह सर्वदा हो ।


कुम्भ ,छठ हो

या चतुर्थी

चौथ का जलता दिया हो,

पुण्य सबको

मिले चाहे

पत्र का वह हाशिया हो,

अमावस्या

पंचमी का 

चाँद हो या प्रतिपदा हो ।


सदानीरा को

बचाना है 

भगीरथ प्यार से,

स्वच्छता की

शपथ लें हम

आज ही हरिद्वार से,

उसे क्यों

धूमिल करें

जो देवकुल की सम्पदा हो।


रहे काशी

या त्रिवेणी

या होशंगाबाद हो,

हमें लौकिक

और वैदिक

मन्त्र तो कुछ याद हो,

विश्व का

मंगल करें

नदियाँ न कोई आपदा हो।

कवि-जयकृष्ण राय तुषार


सभी चित्र साभार गूगल




8 comments:

  1. वाह, बहुत ही सुन्दर।
    शानदार👌

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  2. कुम्भ ,छठ हो या चतुर्थी चौथ का जलता दिया हो,
    पुण्य सबको मिले चाहे पत्र का वह हाशिया हो,
    अमावस्या पंचमी का चाँद हो या प्रतिपदा हो ।

    अनुपम सृजन...। साधुवाद 🙏

    ReplyDelete
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 08 फ़रवरी 2021 को 'पश्चिम के दिन-वार' (चर्चा अंक- 3971) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका विलंब के लिए क्षमा |

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  4. देवगंगा हो हमारी या तुम्हारी नर्मदा हो''
    त्यौहार तो ठीक हैं पर नदियों का ये बंटवारा क्यों ! ये हमारा-तुम्हारा क्यों

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    Replies
    1. ये बँटवारा नहीं अलग अलग महत्व दोनों का है |गीत की अलग अभिव्यक्ति है दोनों का महत्व है |नदियां तो भारत मेन हजारों हैं सभी पूजनीय हैं लेकिन गीत कविता की अपनी सीमा है |

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