Thursday 17 March 2022

एक होली ग़ज़ल-होली मनाइए

 

एक हास्य या होली की हज़ल/ग़ज़ल


यह ग़ज़ल मनोरमा में कभी प्रकाशित थी समय के अनुसार कथ्य बदलता रहता हूं।क्षमा याचना सहित

आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

राजनीति के रंग होली के संग


यह वर्ष बेमिसाल है होली मनाइए

प्रभु राम का कमाल है होली मनाइए


गुंडे,मवाली,माफ़िया की ख़ैर अब नहीं

बुल्डोजर फिर बहाल है होली मनाइए


हिन्दू भी चैन से हैं मुसलमा भी चैन से

हर घर में रोटी-दाल है होली मनाइए


बंसल,प्रधान,शाह की पिचकारी में है दम

मोदी के घर गुलाल है होली मनाइए


होली में भी दिवाली है योगी जी आपकी

गोरखपुर भी खुशहाल है होली मनाइए


नड्डा,स्वतंत्रदेव की है सत्ता सुंदरी

रणनीति का कमाल है होली मनाइए


अब गडकरी जी आप भी पिचकारी लीजिए

ख़स्ता सड़क भी गाल है होली मनाइए


जिन्ना का भूत सायकिल की सीट पर अभी

सैफ़ई में फिर अकाल है होली मनाइए


माया की माया वोटरों पे चल नहीं सकी

कैडर का खस्ताहाल है होली मनाइए


डोभाल का पटाखा है इमरान के घर में

दुश्मन का बुरा हाल है होली मनाइए


जिनपिंग के साथ खेल रहे होली राजनाथ

नोयडा से विजयी लाल है होली मनाइए


डमरू बजाके भाँग पी के काशी मस्त हौ

मोदी जी का कमाल है होली मनाइए


ये कैसा महाभारत है केशव की हार है

दुश्मन की कोई चाल है होली मनाइए


मुखिया के ही खिलाफ़ बग़ावत में एक बहू

बिरहा बिना करताल है होली मनाइए


शर्मा जी अबकी आप भी रंगों से खेलिए

अपनी ही अब चौपाल है होली मनाइए


राहुल जी राजनीति कुटिल बीबी लाइये

सादा अभी तक गाल है होली मनाइए


यू0पी0 में वाड्रा का नहीं रंग चढ़ सका

पार्टी का ख़स्ताहाल ही होली मनाइए


गुस्से में देश देख के कश्मीर की फाइल

जनता में फिर उबाल है होली मनाइए


कोरोना में भी ड्यूटी निभाती रही पुलिस

मस्ती में लेखपाल है होली मनाइए


आपस में सारे लोग रहें मेलजोल से

भारत माँ का सवाल है होली मनाइए

जयकृष्ण राय तुषार

सभी चित्र साभार गूगल

Friday 11 March 2022

उससे मिलने का बहाना है ग़ज़ल

 

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल-उससे मिलने का बहाना है ग़ज़ल


कुछ हक़ीकत कुछ फ़साना है ग़ज़ल

धूप में इक शामियाना है ग़ज़ल


प्यास होठों की इबादत इश्क की

दिल के लफ़्ज़ों का खज़ाना है ग़ज़ल


चाँद, सूरज,आसमाँ कुछ भी नहीं

उससे मिलने का बहाना है ग़ज़ल


धूप,साया,खुशबुएँ, बारिश,हवा

मौसमों का भी ठिकाना है ग़ज़ल


दर्द,तनहाई, ग़रीबी, मुफ़लिसी

सरफ़रोशी का तराना है ग़ज़ल

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल




Friday 4 March 2022

एक गीत-तिरंगा-यह आज़ादी का प्रतीक है

 

भारत माता और तिरंगा
चित्र साभार गूगल

जिस देश के नागरिक को अपने राष्ट्र के ध्वज,राष्ट्र गान ,राष्ट्र गीत और उसके गौरव पर अभिमान हो वही सच्चा नागरिक है।यूक्रेन युद्ध में भारत के राष्ट्रीय ध्वज ने दुश्मन मुल्कों के लोगों की भी रक्षा की । जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम !


एक तिरंगा देशगान


तीन रंग से बना तिरंगा

भारत की पहचान है ।

इसकी ताकत चक्र सुदर्शन

और राष्ट्र का गान है ।


आँख मिलाता सूरज से 

यह आँधी से टकराता ,

युद्ध काल में प्रलय

शांति में सबकी जान बचाता,

अनगिन वीर,शहीदों का यह

स्वप्न और बलिदान है ।


इसकी महिमा तुर्की समझा

समझे पाकिस्तानी,

जो इसका सम्मान करे

वह दिल से हिंदुस्तानी,

यह आज़ादी का प्रतीक है

भारत का अभिमान है ।


सागर इसके चरणों में है

पर्वत शीश झुकाते,

भारत माँ के वीर सिपाही

इसकी गाथा गाते,

यह वीरों की विजय पताका

और क्रांति का गान है।

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


Tuesday 1 March 2022

एक ग़ज़ल-अब अंधेरे में कोई हाथ दबाता है कहाँ

 

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल-लौट के आता है कहाँ


नाव से उतरे मुसाफ़िर को बुलाता है कहाँ

जो भी उस पार गया लौट के आता है कहाँ


घाट संगम का,बनारस का या हरिद्वार का हो

सूखे दरिया को कोई फूल चढ़ाता है कहाँ


फूल की शाख से टूटे या हरे पेड़ों से

ऐसे पत्तों को कोई शख़्स उठाता है कहाँ


इस मोहब्बत में नज़ाकत न शराफ़त है कहीं

अब अंधेरे में कोई हाथ दबाता है कहाँ


अधजली बीड़ियाँ खलिहान जला देती हैं

वक्त पे अब्र कभी आग बुझाता है कहाँ


आम के पेड़ों पे तोते अभी गाते होंगे

बन्द पिंजरे में परिंदा कोई गाता है कहाँ


घर से बाहर भी कई घर थे मेरे दोस्त कभी

अब तो मुश्किल में कोई दोस्त भी आता है कहाँ

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...