Monday 30 April 2018

एक गीत -फूलों की आँखों में जल है

चित्र -साभार गू

इस बदले 
मौसम से जादा 
फूलों की आँखों में जल है |
हदें पार 
कर गयी सियासत 
राजनीति में छल ही छल है |

अहि जा लिपटे 
वन मयूर से 
घोरी से मिल गए अघोरी ,
नैतिकता 
ईमान खूटियों पर 
संध्याएँ गाती लोरी ,
गंगा में 
टेनरियों का जल 
पूजाघर में गंगा जल है |

जंगल के 
सीने पर आरी 
क्या होगा इस नंदन वन का ,
दूषित समिधा 
हवनकुंड में 
उँगलियों में नकली मनका .
ग्रह गोचर शुभ 
विजय भाव है 
फिर माथे पर कैसे बल है |

Sunday 29 April 2018

एक गीत -सूर्य तो उगता रहा हर दिन




चित्र -गूगल से साभार 


एक गीत -सूर्य तो उगता रहा हर दिन 

सूर्य तो 
उगता रहा हर दिन |
मगर कुछ 
वन फूल 
अब भी हैं अँधेरे में |

साँझ ढलते 
रक्त में डूबा 
नदी का जल ,
शोर -चीखों 
का कभी 
निकला न कोई हल ,
कहीं कुछ 
तो चूक है 
उजले सवेरे में |

अन्नदाता 
आपदा की 
जंग में हारे ,
प्यास से 
व्याकुल रहे 
कुछ भूख के मारे ,
इन्द्र प्रमुदित 
बिना जल के 
मेघ घेरे में |

ढूंढ़ता है 
रोज आदमखोर 
मृगनयनी ,
नर्मदा की 
चीख कब 
सुनती है उज्जयिनी ,
डबडबायी 
आंख 
जंगल के बसेरे में |
चित्र -गूगल से साभार 

एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...