चित्र साभार गूगल |
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एक गीत -मौसम में जितने भी रंग उन्हें रहने दो
फूलों को
खिलने दो
नदियों को बहने दो.
मौसम में
जितने भी रंग
उन्हें रहने दो.
झील -ताल
पर्वत,
ये घाटी, ये देवदार,
केसर, चन्दन
औषधि
नदियों की धवल धार,
तुतलाते
बच्चों सा
इनको कुछ कहने दो.
जनपद के
लोकरंग
मादल, ढपली, मृदंग,
हरे भरे
वन मैना
हिरणों की हो उमंग,
राही को
अनुभव की
धूप -छाँह सहने दो.
दिशा देह -
गंध भरे
खुशबू ले पवन बहे,
दीप जले
रंग उड़े
शिखर कलश ऊँ कहे,
स्मृति में
परी लोक
किस्सों को रहने दो.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |