Friday 24 November 2023

एक गीत -आओ फिर पाँच जोड़ बॉसुरी बजायें

चित्र साभार गूगल 


एक गीत -आओ फिर "पाँच जोड़ बॉसुरी" बजायें


आओ फिर

"पाँच जोड़

बॉसुरी" बजायें.

ठूँठ पेड़

बंज़र के

गीत गुनगुनायें.


चाँद को

बहुत देखा

भूख प्यास लिखना,

प्यास भरी

बस्ती में

गंगा सा दिखना,

धूप से

मुख़ातिब हों

तरु की छायायें.


सूखती नदी

के तट

फूलों का खिलना,

पगडण्डी

ओस भरे

खेतों से मिलना,

हिरनों की

टोली संग

चरती हों गायें.


घिसे -पिटे

बिम्बोँ

उपमानों से निकलें,

गीतों का

तंत्र मंत औ

तिलस्म बदलें,

गौरैया

बनकर फिर

धूल में नहायें.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


Friday 17 November 2023

एक गीत -छठ पर्व *डूबते दिनमान ठहरो

चित्र साभार गूगल 


छठ पर्व की सभी को शुभकामनायें. छठ मैया और भगवान सूर्यदेव सकल सृष्टि और मानव हृदय को सदैव अलौकित करते रहें. सबको उत्तम स्वास्थ्य और सुख समृद्धि प्रदान करें.


एक गीत -हम नदी की धार में शुभकामना के गीत गाये


डूबते

दिनमान ठहरो,

थाल पूजा की सजाये.

हम नदी की

धार में

शुभ कामना के गीत गाये.


छठी माँ

आशीष देना

हर व्रती के द्वार मंगल,

हम चढ़ाएंगे

तुम्हें पकवान

सुन्दर पुष्प, शतदल,

मन तुम्हारी

आस्था में

तन नदी के जल नहाये.


सृष्टि का

सौंदर्य सारा

भोर के रवि से प्रकाशित,

धरा, पर्वत

घाटियाँ सब

शुभ्र फूलों से सुवासित,

मार्ग में

भटके तपस्वी

ज्ञानियों का तम मिटाये.


कवि -जयकृष्ण राय तुषार


चित्र साभार गूगल 

Thursday 9 November 2023

एक गीत दीपावली पर


सभी को दीपावली प्रसन्नता, रिद्धि सिद्धि ऐश्वर्य, सुख सौभाग्य प्रदान करे. रोगी को स्वस्थ करे. उदासी को मोहक मुस्कान प्रदान करे. संत को भगवान प्रदान करे. राष्ट्र को अपराजेय बनाये और शक्ति प्रदान करे. वन्देमातरम.

चित्र साभार गूगल 


एक गीत 

नदी -घाट सीढ़ियाँ सजाये


अंजुरी में

दीप जगमगाये

सुधियों में भीमसेन गाये.


भाभी का

गोरा मुख चन्द्रमा

माँ जैसे फूलों की थाली,

वेदमंत्र बाँचते पिता

आरती सजाये घरवाली,

रामज्योति

सरयू को भाये.


मौसम के

तेवर भी बदले

धान हरे झूमते अगहनी,

गेंदा, गुड़हल

गुलाब महके

इत्र गंध वाली हर टहनी,

यमुना तट

बांसुरी बजाये.


एक अमॉ

ऐसी भी प्यारे

हार गयी पूनम की रातें,

द्वार द्वार अल्पना

रंगोली

मधुर मधुर हँसी और बातें,

नदी -घाट

सीढ़ियाँ सजाये.


पर्वत की

जगमग सी घाटी

देवदार देर तक निहारे,

गढ़वाली

शिमला, कश्मीरी

मीनाक्षी काजल को पारे,

मन काशी

तन प्रयाग जाये.

चित्र साभार गूगल 


कवि -जयकृष्ण राय तुषार

Wednesday 1 November 2023

समकालीन हिन्दी नवगीत संचयन -प्रकाशक साहित्य अकादमी


प्रकाशक साहित्य अकादमी 

प्रकाशक साहित्य अकादमी 

समकालीन नवगीत संचयन

प्रकाशक साहित्य अकादमी

सम्पादक -डॉ ओम प्रकाश सिंह

प्रत्येक का मूल्य रूपये 500

हिन्दी नवगीत का यह एक महत्वपूर्ण प्रकाशन है जिसे प्रकाशित किया है साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने. इस संकलन में कुल 101 गीत कवियों की छह छह रचनाएँ ली गयी हैँ भाग 1 में 50 कवि एवं भाग 2 में 51 कवि हैं.क्रम अल्फाबेटीकल है. हिन्दी के पाठकों,शिक्षकों, शोधार्थियों के लिए यह बहुत उपयोगी है.

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक, निदेशक. एवं श्री अजय कुमार शर्मा जी एवं साहित्य अकादमी परिवार ने सराहनीय कार्य किया है. सभी का आभार. मेरे गीत भाग 1 में संकलित हैँ.

स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी के लिए

  स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी  हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब  सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पा...