चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -किस्सागोई चाहिए अच्छे फ़साने के लिए
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एक ग़ज़ल -किस्सागोई चाहिए अच्छे फ़साने के लिए
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दैनिक जागरण सप्तरंग पुनर्नवा पृष्ठ पर दिनांक 28-082023 को प्रकाशित गीत |
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एक ताज़ा गीत
गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है
गीत वही
जो प्यासी -
ऋतु को सावन कर दे.
गंधहीन
फूलों में
भीनी खुशबू भर दे.
गीत सतपुड़ा
और नर्मदा
की कल- कल है,
गीत
निराला के
प्रयाग का गंगाजल है,
गीत वही
जो कृष्ण -
अधर पर वंशी धर दे.
गीत
प्रेम की नदी
परिंदो की उड़ान है,
संस्कार
उत्सव का यह
आदिम मकान है,
गीत विरह
ही नहीं
सरहदों पर भी स्वर दे.
गीत
वही जो तुलसी
विद्यापति गाते हैं,
गीत
वही जो
मीराबाई को भाते हैं,
गीत वही
जो बाल्मीकि
को पावन कर दे.
फागुन का
रंग जीवन की
उम्मीद गीत है,
बंजारों की
हर मुश्किल में,
यही मीत है,
गीत
वही जो
भीमसेन सा जादू कर दे.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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चंद्रयान 3और इसरो के अद्भुत सफलता पर काव्यात्मक बधाई और शुभकामनायें
चाँद हमारी मुट्ठी में
जय बोलो हिंदुस्तान की.
भारत माता पुण्य भूमि है
ज्ञान और विज्ञान की.
पहले चंदा मामा थे
बस कविता और कहानी में,
दूर गगन में दिखते थे
या फिर झीलों के पानी में,
चन्द्रयान है बड़ी सफलता
इसरो के अभियान की.
अंतरिक्ष में भारत माँ का
गौरव गान तिरंगा है,
विजयी है वह जिसकी
आँखों में सपना सतरंगा है,
युग युग से यह पावन मिट्टी
ऋषियों के वरदान की.
मंगल, शनि के साथ सृष्टि की
गुत्थी हम सुलझायेंगे,
वेद मंत्र के साथ ग्रहों पर
जन गण मन भी गायेंगे,
हमने सीढ़ी भी तोड़ी है
दुनिया के अभिमान की.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम |
एक पुरानी ग़ज़ल
एक ग़ज़ल देश के नाम -
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
मैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे
यही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे
बचूँ तो इसके मुकुट का मैं मोरपंख बनूँ
मरूँ तो नाम शहीदों में ये शुमार रहे
ये मुल्क ख़्वाब से सुंदर है जन्नतों से बड़ा
यहाँ पे संत ,सिद्ध और दशावतार रहे
मैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ
ये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे
भगत ,आज़ाद औ बिस्मिल ,सुभाष भी थे यहीं
जो इन्क़लाब लिखे सब इन्हीं के यार रहे
आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो
न सूख पाएँ परिंदो को एतबार रहे
तमाम रंग नज़ारे ये बाँकपन ये शाम
सुबह के फूल पे कुछ धूप कुछ 'तुषार 'रहे
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र -साभार गूगल -भारत के लोकरंग |
चित्र साभार गूगल बेटियों /स्त्रियों पर लगातार लैंगिक अपराध से मन दुःखी है. कभी स्त्रियों के दुख दर्द पर मेरी एक ग़ज़ल बी. बी. सी. लंदन की न...