Wednesday 30 August 2023

एक ग़ज़ल -किस्सागोई चाहिए अच्छे फ़साने के लिए

चित्र साभार गूगल 


एक ग़ज़ल -किस्सागोई चाहिए अच्छे फ़साने के लिए 


काटिए मत पेड़ बस्ती को बसाने के लिए
इक परिंदा चाहिए जंगल में गाने के लिए

किस कदर बेजान हैं बच्चे खिलौनों की तरह
फूल, तितली कुछ नहीं उनको हँसाने के लिए

कौन दरिया है जहाँ तूफ़ान का खतरा नहीं
डूबना पड़ता है डूबे को बचाने के लिए

साज, साजिन्दे, सियासत की तरह दिन में अलग
शाम को बैठेंगे सब ठुमरी सुनाने के लिए

आपसी रंजिश में पेड़ों से दहकते ये धुंए
आग का क्या काम है जंगल जलाने के लिए

प्यार, धोखा, जुर्म, रंजिश और तिलस्मी ही नहीं
किस्सागोई चाहिए अच्छे फ़साने के लिए

कितनी कोशिश करते हैं हम कैमरे के सामने
एक अच्छी सी कोई तस्वीर पाने के लिए

कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल 


चित्र साभार गूगल 

Tuesday 29 August 2023

एक गीत -गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है

दैनिक जागरण सप्तरंग पुनर्नवा पृष्ठ पर दिनांक 28-082023
को प्रकाशित गीत 

 
चित्र साभार गूगल 


एक ताज़ा गीत 


गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है


गीत वही

जो प्यासी -

ऋतु को सावन कर दे.

गंधहीन

फूलों में

भीनी खुशबू भर दे.


गीत सतपुड़ा

और नर्मदा 

की कल- कल है,

गीत

निराला के 

प्रयाग का गंगाजल है,

गीत वही

जो कृष्ण -

अधर पर वंशी धर दे.


गीत

प्रेम की नदी

परिंदो की उड़ान है,

संस्कार

उत्सव का यह

आदिम मकान है,

गीत विरह

ही नहीं

सरहदों पर भी स्वर दे.


गीत

वही जो तुलसी

विद्यापति गाते हैं,

गीत

वही जो

मीराबाई को भाते हैं,

गीत वही

जो बाल्मीकि

को पावन कर दे.


फागुन का

रंग जीवन की

उम्मीद गीत है,

बंजारों की 

हर मुश्किल में,

यही मीत है,

गीत

वही जो

भीमसेन सा जादू कर दे.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


Thursday 24 August 2023

एक ताज़ा गीत -चंद्रयान 3 की सफलता पर

चित्र साभार गूगल 


चंद्रयान 3और इसरो के अद्भुत सफलता पर काव्यात्मक बधाई और शुभकामनायें


चाँद हमारी मुट्ठी में

जय बोलो हिंदुस्तान की.

भारत माता पुण्य भूमि है

ज्ञान और विज्ञान की.


पहले चंदा मामा थे

बस कविता और कहानी में,

दूर गगन में दिखते थे

या फिर झीलों के पानी में,

चन्द्रयान है बड़ी सफलता

इसरो के अभियान की.


अंतरिक्ष में भारत माँ का

गौरव गान तिरंगा है,

विजयी है वह जिसकी

आँखों में सपना सतरंगा है,

युग युग से यह पावन मिट्टी

ऋषियों के वरदान की.


मंगल, शनि के साथ सृष्टि की

गुत्थी हम सुलझायेंगे,

वेद मंत्र के साथ ग्रहों पर

जन गण मन भी गायेंगे,

हमने सीढ़ी भी तोड़ी है 

दुनिया के अभिमान की.

कवि जयकृष्ण राय तुषार



Monday 14 August 2023

एक ग़ज़ल -कहीं से लौट के आऊँ


 

तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम 

एक पुरानी ग़ज़ल 

एक ग़ज़ल देश के नाम -

कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे 


हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे 

कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे 


मैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे 

यही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे 


बचूँ तो इसके मुकुट का मैं मोरपंख बनूँ 

मरूँ  तो नाम शहीदों में ये शुमार रहे 


ये मुल्क ख़्वाब से सुंदर है जन्नतों से बड़ा 

यहाँ पे संत ,सिद्ध और दशावतार रहे 


मैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ 

ये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे 


भगत ,आज़ाद औ बिस्मिल ,सुभाष भी थे यहीं 

जो इन्क़लाब लिखे सब इन्हीं के यार रहे 


आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो 

न सूख पाएँ परिंदो को एतबार रहे 


तमाम रंग नज़ारे ये बाँकपन ये शाम 

सुबह के फूल पे कुछ धूप कुछ 'तुषार 'रहे 


कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र -साभार गूगल 


चित्र -साभार गूगल -भारत के लोकरंग 


स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी के लिए

  स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी  हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब  सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पा...