Friday 27 January 2012

एक गीत -हो गया अपना इलाहाबाद, पेरिस ,अबू धाबी


चित्र -गूगल से साभार 
बसन्त पर्व पर मंगलकामनाओं के साथ -
एक गीत -हो गया अपना इलाहाबाद, पेरिस,अबू धाबी 
शरद में  
ठिठुरा हुआ मौसम 
लगा होने गुलाबी  |
हो गया 
अपना इलाहाबाद 
पेरिस ,अबू धाबी  |

देह से 
उतरे गुलाबी -
कत्थई ,नीले पुलोवर ,
गुनगुनाने लगे 
घंटों तक 
घरों के बन्द शावर ,
लाँन में 
आराम कुर्सी पर 
हुए ये दिन किताबी |

घोंसलों से 
निकल आये 
पाँव से चलने लगे ,
ये परिन्दे 
झील ,खेतों में 
हमें मिलने लगे ,
चुग नहीं 
पाते अभी दानें 
यही इनकी खराबी |

स्वप्न देखें 
फागुनी -
ऑंखें गुलालों के ,
लौट आये  ,
दिन मोहब्बत 
के रिसालों के ,
डाकिये 
फिर खोलकर 
पढ़ने लगे हैं खत जबाबी |

खनखनाती 
चूड़ियाँ जैसे 
बजें संतूर ,
सहचरी को 
कनखियों से 
देखते मजदूर 
सुबह 
नरगिस, दोपहर 
लगने लगी परवीन बाबी |
चित्र -गूगल से साभार 

Wednesday 25 January 2012

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर -एक देश गान

चित्र -गूगल से साभार 
गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर 
जब तक न प्रलय हो धरती पर  
जब तक सूरज पवमान रहे |
जनगण मन और तिरंगे की 
आभा में हिन्दुस्तान रहे |

चरणों में हिन्द महासागर 
सीने में यमुना -गंगा हो ,
बाँहों में सतलज ,ब्रह्मपुत्र 
मन में कश्मीर ,कलिंगा हो ,
मथुरा ,गोकुल ,वृन्दावन में 
मुरली की मोहक तान रहे |

गिरिजाघर में माँ मरियम हों 
गुरुग्रंथ रहे गुरुद्वारों में ,
हो बिहू ,भांगड़ा कुचिपुड़ी 
हर मौसम में त्योहारों में ,
तेरे मन्दिर गीता ,मानस 
हर मस्जिद में कुरआन रहे |

हम भगत सिंह के वंशज हैं 
ईमान हमारा बना रहे ,
बापू के सत्य अहिंसा का भी 
छत्र शीश पर तना रहे ,
जब कभी देश पर संकट हो 
पहले मेरा बलिदान रहे |

उत्तर से दक्षिण ,पूरब से -
पश्चिम फैली हरियाली हो ,
भुखमरी ,गरीबी हटो दूर !
हर हाथ शहद की प्याली हो ,
भारत माँ तेरी मिटटी का 
हर इक तिनका बलवान रहे |,
चित्र -गूगल से साभार 

एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...