चित्र साभार गूगल |
एक गीत-चाँदनी निहारेंगे
रंग चढ़े
मेहँदी के
मोम सी उँगलियाँ ।
धानों की
मेड़ों पर
मेघ औ बिजलियाँ ।
खुले हुए
जूड़े और
बच्चों के बस्ते,
हँसकर के
खिड़की से
सूर्य को नमस्ते,
फूलों का
माथ चूम
उड़ रहीं तितलियाँ ।
ढूँढ रहे
अर्थ सुबह
रातों के सपने,
रखकर
ताज़ा गुलाब
पत्र लिखा किसने,
आटे की
गोली सब
खा गयीं मछलियाँ ।
आहट
दीवाली की
किस्से रंगोली के,
दिन लौटे
दिए और
पान-फूल रोली के
चाँदनी
निहारेंगे छत
आँगन-गलियाँ ।
आपका गीत तो मनभावन है ही तुषार जी, संलग्न चित्र भी हृदय-विजयी है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका आदरणीय।सादर अभिवादन
Deleteखूबसूरत गीत 👌👌👌👌👌
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।सादर प्रणाम
Deleteवाह!! बहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-09-2021) को चर्चा मंच ‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’ (चर्चा अंक-4195) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--हिन्दी दिवस की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आपका आदरणीय
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 22सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन पम्मी जी
Deleteबहुत ही प्यारी और मनमोहक रचना!
ReplyDeleteमनीषा जी आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन
Deleteसुंदर अभियक्ति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत ही खूबसूरत , मनभावन।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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