Tuesday 23 January 2024

एक ग़ज़ल -रामलला की मूर्ति मनोहर अप्रतिम है

प्रभु श्रीराम अयोध्या 


एक ग़ज़ल -

राष्ट्र धर्म फ़रवरी अंक में
प्रकाशित 


दौलत, शोहरत, ओहदा सब बेकार गया

जिसकी किस्मत वही राम दरबार गया


इफ़्तारी में शामिल हिन्दू घर बैठे

राम के दर पर असली रोज़ेदार गया


ईश्वर कैसे मिलता जीवन यात्रा में

सैलानी बनकर बद्री -केदार गया


रामलला की मूर्ति मनोहर, अप्रतिम है

इसे देखने प्रभु का हर अवतार गया 


धर्म, राष्ट्र को किया प्रतिष्ठित सम्मानित

जिस नगरी में अपना चौकीदार गया


रामकाज में जो शहीद हैं कोटि नमन

उन्हें निमंत्रण बिना तार उस पार गया 


सरयू के तट पर हर मत हर फिरक़ा था

कुछ लोगों के नफ़रत का बाज़ार गया


कवि /शायर

जयकृष्ण राय तुषार

अयोध्या प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा 

Monday 22 January 2024

एक गीत -प्रभु श्रीराम

प्रभु श्रीराम 


जय श्रीराम

आज विश्व का सर्वश्रेष्ठ दिन है जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नवनिर्मित दिव्य भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी. राम विश्व का मंगल करेंगे. यह मंदिर सनातन धर्म के लिए गौरव का विषय तो है इसमें सर्वधर्म की झलक भी है. समाज के हर वर्ग का अतुलनीय योगदान है. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी को भी बहुत बहुत बधाई जो एक अपराजेय योद्धा हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी समस्त संत समाज को भी बधाई और शुभकामनायें.
आप सभी का दिन राममय हो. शुभ हो.

एक गीत -शुभ धन्य आज की भोर

शुभ, धन्य आज की भोर
धन्य भारत वासी.
हो गए राममय संत, मनुज
सरयू तट वासी.

जल उठे करोड़ों दीप
स्वागतम सियाराम का,
जग साक्षी है इस प्राण -
प्रतिष्ठा पुण्य धाम का,
लौटा विजयी मुद्रा में
फिर से वनवासी.

सब धर्म, पंथ कर रहे
राम का अभिनंदन,
यह भूमि अलौकिक है
इसमें खुशबू चन्दन,
सरयू माँ का सुख
देख रही शबरी दासी.

प्रभु राम हमारी संस्कृति
के रक्षक नायक,
कण -कण समाज से प्रेम
उन्हें, सबके सुखदायक,
दर्शन को आतुर गृहस्थ
वैष्णव सन्यासी.

हे कमल नयन हर घर
शुभ मंगल गान रहे,
बस लिखूँ आपकी महिमा
जब तक प्रान रहे,
है धन्य अवध की शाम
सुबह की काशी.

गीतकार -
जयकृष्ण राय तुषार

श्रीराम 


Thursday 11 January 2024

एक ग़ज़ल -कौशल्या माँ के लल्ला की बड़ी मोहक अदाएँ हैं


श्रीराम जी बाल रूप में 


दैनिक हिंदुस्तान में 21 जनवरी को प्रकाशित 


एक ग़ज़ल -कौशल्या माँ के लल्ला की बड़ी मोहक अदाएँ हैं 

मनुज, गंधर्व,सुर, किन्नर, तपस्वी, अप्सराएं हैं
प्रभु श्रीराम के स्वागत में सब दीपक जलाए हैं

अभी भी पंचवटियों में कई मारीचि बैठे हैं
हमारे दौर में भी कैकयी और मंथराएं हैं

कोई भूखा न सोये रात में सरयू की गोदी में
हमारे सिक्ख भाई प्यार से लंगर सजाए हैं

भरत, हनुमान, शबरी, नील नल, सुग्रीव प्रमुदित हैं
चलो स्वागत करें पाहुन कई मिथिला से आए हैं

सनातन धर्म के माथे का चंदन अब नहीं छूटे 
यशस्वी हो ये भारत भूमि सबकी प्रार्थनाएं हैं

निगाहें साफ़ कर देखो तो मेरे राम सबके हैं
उन्हीं से सृष्टि का सौंदर्य वेदों की ऋचाएँ हैं

कमल से नैन, मृदु भाषा, सुकोमल देह श्यामल सी
कौशल्या माँ के लल्ला की बड़ी मोहक अदाएँ हैं

ग़ज़लकर /कवि
जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


Tuesday 9 January 2024

एक ग़ज़ल -फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना


चित्र साभार गूगल 


एक पुरानी ग़ज़ल


एक गज़ल -फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना


खार से रिश्ता भले खार की सूरत रखना 

फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना 


जब भी तकसीम किया जाता है हँसते घर को 

सीख जाते हैं ये बच्चे भी अदावत रखना 


हम किसे चूमें किसे सीने पे रखकर रोयें 

दौर -ए -ईमेल में मुमकिन है कहाँ खत रखना 


जिन्दगी बाँह में बांधा  हुआ  तावीज नहीं 

गर मिली है तो इसे जीने की कूवत  रखना 


रेशमी जुल्फ़ें ,ये ऑंखें ,ये हँसी के झरने 

किस अदाकार से सीखा ये मुसीबत रखना 


चाहता है जो तू दरिया से समन्दर होना 

अपना अस्तित्व मिटा देने की फितरत रखना 


जिसके सीने में सच्चाई के सिवा कुछ भी नहीं 

उसके होठों पे उँगलियों को कभी मत रखना 


जब उदासी में कभी दोस्त भी अच्छे न लगें 

कैद -ए -तनहाई की इस बज्म में आदत रखना  


इसको सैलाब भी रोके तो कहाँ रुकता है 

इश्क की राह, न दीवार, न ही छत रखना


[ मेरी यह ग़ज़ल नया ज्ञानोदय के ग़ज़ल महाविशेषांक  एवं हिन्दी की बेहतरीन ग़ज़लें -सम्पादक भारतीय ज्ञानपीठ में प्रकाशित है ]



चित्र -गूगल से साभार

Monday 8 January 2024

एक भक्ति गीत -त्रेता का श्रीराम हूँ मैं

प्रभु श्रीराम 


एक भक्ति गीत -श्रीराम हूँ मैं


चारो युग, चारो वेद सृष्टि

संतों का सुख अभिराम हूँ मैं

मैं सदा धर्म का रक्षक हूँ

त्रेता युग का श्रीराम हूँ मैं


इस लोक में मैं लीलाधर हूँ 

द्वापर का मुरलीवाला हूँ

सतयुग का वामन ब्राह्मण हूँ

मैं परशुराम की ज्वाला हूँ

गंगा यमुना मेरे पग में

सरयू का पावन धाम हूँ मैं


मैं बाल्मीकि के छंदों में

मैं तुलसी की चौपाई हूँ

मैं कर्म ज्ञान हूँ गीता का

मैं सीतापति रघुराई हूँ

जिस जगह निरंकुश पाप बढ़े

उस धरती पर संग्राम हूँ मैं 


सब भक्त मुझे पा जाते हैं

मैं भक्तों का उद्धारक हूँ

बस अहंकार भोजन मेरा

मैं रावण का संहारक हूँ

मैं आदि, अनंत, अजन्मा हूँ

निर्गुण भी सगुण निष्काम हूँ मैं


संतों ऋषियों की रक्षा में
मैं बल्कल में बनवासी हूँ

दुनिया के मंगल के खातिर
मैं राजा से सन्यासी हूँ

मैं ही त्रिदेव सैकड़ों सूर्य
अनगिन देवों का नाम हूँ मैं

कवि जयकृष्ण राय तुषार 


चित्र साभार गूगल 


स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी के लिए

  स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी  हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब  सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पा...