Sunday 21 May 2023

एक ग़ज़ल -जिसकी गीता वही अदालत में



यह देश का दुर्भाग्य है की सनातन धर्म सबसे प्राचीन होते हुए भी प्रभु श्रीराम, शिव. भगवान श्री कृष्ण पर अदालतों में मुक़दमे चल रहे हैँ. यूरोप अमेरिका में कभी अदालत में ईसा मसीह को सबूत नहीं देना पड़ता. आजादी के समय ही यह तय हो जाना चाहिए था कि भारत का आदर्श बाबर होगा या श्री राम. भारत का विभाजन ज़ब धर्म के आधार पर हुआ तो भारत हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं संविधान और विभाजन दोनों हिन्दुओं के साथ षड्यंत्र था जिसके कारण आज शिव और कृष्ण का अस्तित्व संकट में है. क्या ऐसा कोई देश है जहाँ ईश्वर अदालत में हो जिसकी गीता की शपथ राष्ट्रपति और न्यायधीश भी लेते हैँ. संविधान का पुनरलेखन होना चाहिए हमारा अधिकार है हिन्दू राष्ट्र होना. ताकि ईश्वर को देश की अदालतों में जलील न होना पड़े. केंद्र सरकार कड़ा क़ानून बनाकर मुगलों द्वारा ध्वस्त मंदिरों का अधिग्रहण करे और उनका नव निर्माण.हर हर महादेव.



एक ग़ज़ल -जिसकी गीता वही अदालत में

नीम के घर में पाम है साहब
क्या ये मौसम का काम है साहब

जिसकी गीता वही अदालत में
अब तो अपना निज़ाम है साहब

जो भी करना है फैसला करिए
सृष्टि की ध्वनि में राम है साहब

जितने मंदिर हमारे टूटे हैँ
सबमें बाबर का नाम है साहब

ज्ञान का कूप ज्ञान वापी है
क्यों मुकदमा बनाम है साहब

काशी, मथुरा की देखकर पीड़ा
दुःख में अब चारो धाम हैँ साहब 

बादलों ने गगन को घेरा है
वरना जाड़े में घाम है साहब

छिपके मरीचि वन में बैठे हैँ
स्वर्ण मृग सी ये शाम है साहब
प्रभु श्रीराम 











Friday 19 May 2023

एक गीत -बंजारन बाँसुरी बजाना

 

 

चित्र साभार गूगल 

एक गीत -बंजारन बाँसुरी बजाना 

मद्धम सुर हो या हो पंचम 
बंजारन  बाँसुरी बजाती जा.
महलों में गीत नहीं गाना
तू पठार, बस्ती में गाती जा.


मौसम को दोष नहीं देना
वन फूलों जैसा ही खिलना,
हँसकर के तितली को छूना
पात भरे पेड़ों से मिलना.
थकी हुई पर्वत की घाटी
श्वेत परी नेह से बुलाती जा.

कत्थक मुद्राएँ, गन्धर्व नहीं
नौटंकी, लोककला हाशिए,
उज्जयिनी नवरत्नो से विहीन
शब्द, अर्थ भूलते दूभाषिए,
गंगा तो निर्गुण भी सुनती है
एक दिया लहर पर जलाती जा.

नीलकमल झीलों में मुरझाए
लहरों पर जलकुम्भी इतराए,
रिश्तों से रीत गया आँगन
बरसों से दरपन धुंधलाये,
हाथों से मेघों को बीनकर
छत पर कुछ चाँदनी सजाती जा.

कवि जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र साभार गूगल 

Monday 15 May 2023

कृतियाँ -न्यायालय में महामना, चौरी -चौरा एवं महामना एट बार


पुस्तकें -चौरीचौरा 'न्यायालय में महामना और
महामना एट बार 


  • पूर्व एडिशनल सॉलीसीटर एवं लेखक श्री अशोक मेहता 



    • इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एवं लेखक 
    • श्री अशोक मेहता की चर्चित पुस्तकें

    • इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एवं पूर्व एडिशनल सॉलिसीटर श्री अशोक मेहता जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी है. अधिवक्ता के रूप में जितनी ख्याति है उतनी ही साहित्य और समाज के प्रति उनका लगाव है. लम्बे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े हैँ. काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से क़ानून की पढ़ाई करने के कारण महमना से भी बहुत लगाव है. आज ज़ब मैं मिलने गया तो तीन पुस्तकें मुझे स्नेहवश मिलीं एक चौरी चौरा क़ानून की दृष्टि में और दो पंडित मदन मोहन मालवीय के अधिवक्ता के रूप में और उनके कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी शामिल हैँ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय विद्वानों की खान रहा है देश के कुछ चुनिंदा उच्च न्यायालयों में इसकी गिनती होती है. न्यायालय में महामना साहित्य भंडार से बाकी दो पुस्तकें तिरुपति इंटरप्राइजेज से प्रकाशित हुई हैँ 30 अप्रैल को हाईकोर्ट बार में माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती सुनीता अग्रवाल जी ने इसका विमोचन भी किया था. अशोक मेहता जी को उनकी इन अनमोल कृतियों के लिए बधाई और हार्दिक शुभकामनायें

आदरणीय श्री अशोक मेहता जी से पुस्तक प्राप्त करते हुए 


सीनियर एडवोकेट एवं लेखक श्री अशोक मेहता जी 




Tuesday 2 May 2023

एक गीत -सूनेपन के माथ सजा दो

चित्र साभार गूगल 

एक गीत -सूनेपन का माथ सजा दो 

सूनेपन का 
माथ सजा दो
चन्दन, रोली.
सुविधाओं ने
छीन लिया है
हँसी -ठिठोली.

रंग -गंध से
रिक्त हुई
फूलों की घाटी,
परदेसी को
याद कहाँ
अब सोंधी माटी,
मन को
ऊर्जा देती
अब भी गँवई बोली.

गीतों से
गायब होते
मौसम बहार के,
संध्याएँ
अब मौन
नहीं हैं स्वर सितार के,
दीप शिखाएँ
ढूँढ रही हैँ
ठुमरी, होली.

आँगन ही
अब नहीं
चाँदनी कौन निहारे,
कृत्रिम समय
को पुनः
बदलना होगा प्यारे,
आओ
नदियों में
फेंके आटे की गोली.

जयकृष्ण राय तुषार 

स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी के लिए

  स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी  हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब  सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पा...