Tuesday 28 July 2020

एक आस्था का गीत -कलियुग का उद्धार करेंगे त्रेता के श्रीराम




एक आस्था का गीत -
कलियुग का उद्धार करेंगे त्रेता के श्री राम  

स्वर्ग से सुन्दर लगे अयोध्या 
सरयू पावन  धाम |
कलियुग का उद्धार करेंगे 
त्रेता के श्री राम |

जन -जन केवट बनकर आये 
प्रभु को पार लगाने ,
फिर से आये राम 
हमारा सोया देश जगाने ,
साधु  ,संत ,सिद्धों ने मिलकर 
किया क्रांति का काम |

प्रभु के पावन मन्दिर खातिर 
अनगिन नैन पियासे ,
इस अभिजित मुहूर्त के खातिर 
सुन्दर शिला तराशे ,
हनुमत प्रमुदित यह तन आये 
फिर से प्रभु के काम |

हवा बह रही केसर जैसी 
माटी बन गयी चंदन ,
राम सिया के चरण पड़े 
जिस वन में हो गया नंदन ,
प्रभु की मूरत जहाँ वहीं है 
धरती का सुख धाम |

एक सनातन ज्योति धर्म की 
सभी दिए में जलती ,
एक ज्योति तुलसी बाबा की 
रामकथा में मिलती ,
श्रृंगवेरपुर ,चित्रकूट, हर
शिला  जपे प्रभु नाम |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 


चित्र -साभार गूगल 


Sunday 12 July 2020

एक गीत -नींद से कहना न टूटे

चित्र साभार गूगल

एक गीत-नींद से कहना न टूटे

हँस रही
इन घाटियों के
माथ पर बिंदी हरी है ।

नींद से
कहना न टूटे
स्वप्न में इक जलपरी है ।

झील में
वंशी बजाते
गिन रहा है लहर कोई,
रक्तकमलों
से सुवासित
छू रहा है अधर कोई,

पंख
टूटेंगे न छूना
यार तितली बावरी है।

देह भींगी
भागती हैं
लाज से बोझिल दिशाएं,
खिड़कियों
के पार कोई
लिख रहा अपनी कथाएं,

छेड़ता है
रोज लेकिन
ज़ुर्म से मौसम बरी है ।

चाँदनी सी
रातरानी
रंग बेला के सुहाने,
अर्थ देने
लगे बिलकुल नए
सब गाने पुराने,

टांक लो
ये फूल जूड़े में
निवेदन आखिरी है ।


कवि -जयकृष्ण राय तुषार 

एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...