Thursday 11 March 2021

एक गीत-तुम जरा बेफ़िक्र होकर खिलखिला दो

 

चित्र साभार गूगल

एक गीत-तुम ज़रा बेफ़िक्र होकर खिलखिला दो


निर्वसन

पतझार में ये नीम

इसे अंजलि भर नदी का जल पिला दो।


छाँह लौटेगी

हरापन भी

तुम ज़रा बेफ़िक्र होकर खिलखिला दो ।


आज फिर

मौसम सुहाना है

काम का छोड़ो बहाना यार ,

झील में

खिलते कँवल के फूल

राजहंसों का मिलन अभिसार,

बादलों में

चाँद सोया है

तुम हथेली पर अभी दीये जला दो ।


उम्र को

दरपन दिखाना मत

सादगी फिर कर रही श्रृंगार,

चहचहाती

साँझ सिन्दूरी

धूप का घटने लगा आकार,

इन कमीजों के

बटन टूटे

रफ़ू छोड़ो सिल्क के कुर्ते सिला दो ।


कवि जयकृष्ण राय तुषार

नीम चित्र साभार गूगल


16 comments:

  1. बहुत सुंदर मनभावन श्रृंगार रचना तुषार जी |लौकिक प्रेम की आलौकिक अभिव्यक्ति |

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    1. आपका हृदय से आभार।आपकी खूबसूरत अर्थपूर्ण टिप्पणी है
      हमारा मनोबल बढ़ाती है।बेहतर सृजन की प्रेरणा देती है।सादर अभिवादन

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शुक्रवार 12 मार्च 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

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  3. नीम का भी श्रृंगार होगा , अब उम्र तो वापस नहीं लायी जा सकती पर सिल्क का कुरता पहन ऐश कीजिये :)

    सुन्दर रचना

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    1. सादर प्रणाम।इसीलिए तो लिखा है उम्र को दरपन दिखाना मत ।
      सादगी भी कर रही श्रृंगार।आपका हार्दिक आभार

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  4. उम्र को

    दरपन दिखाना मत

    सादगी फिर कर रही श्रृंगार,
    बहुत खूब,सादर नमन आपको

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    1. आपका हृदय से आभार।सादर नमन आपको और आपकी सहजता को।

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  5. वाह सुंदर व्यंजनाएं मोहक सृजन।

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    1. आपका हृदय से आभार आदरणीया

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  6. निर्वसन
    पतझर में ये नीम
    इसे अंजलि भर नदी का जल पिला दो।

    छाँह लौटेगी
    हरापन भी
    तुम ज़रा बेफ़िक्र होकर खिलखिला दो ।
    ..थोड़े में बहुत ..
    ..

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    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीया कविता जी ।सादर प्रणाम आपको

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  7. सुंदर सृजन।बहुत खूब,सादर नमन आपको हर बार की तरह बहुत लाजवाब

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    1. भाई संजय जी सादर अभिवादन ।हार्दिक आभार आपका

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  8. इस कविता पर टिप्पणी करने की अर्हता मैं नहीं रखता हूँ तुषार जी । स्तब्ध रह गया हूँ, वाणी मूक हो गई है इसका पारायण करके, कहूं भी तो क्या कहूं ?

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  9. आप शब्दों के जादूगर या फिल्मों के राजकपूर हैं। राजकपूर जी बहुत शालीनता से सीधा सादा रोल करते थे लेकिन जिसे छू देते थे वह सदाबहार अभिनेता या नायिका हो जाता था।सादर प्रणाम आपकी सहजता को

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