Tuesday, 16 March 2021

एक ग़ज़ल-ये चेहरा इस सदी का है


चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल-

न चूड़ी है, न बिंदी है ,न काजल ,माँग टीका है

ये औरत कामकाजी है ये मंज़र  इस सदी का है


बदलते दौर में अब लड़कियाँ भी जेट उड़ाती है

न अब नाज़ुक कलाई है भले चेहरा परी का है


इशारों से कभी लब से कभी आँखों से कहती है

समझदारों को समझाने का ये अच्छा तरीका है


तुम्हारे प्रश्न का उत्तर लिए हातिम सा लौटा हूँ

इसे रख लो मोहब्बत से ये गुलदस्ता अभी का है


ये जल में तैरता है और हवा में उड़ भी सकता है

इसे पिंजरे में मत रखना परिंदा यह नदी का है


तुम्हारा तर्जुमा केवल मोहब्बत करके बैठे सब

तुम्हारे पास तो घर भी चलाने का सलीका है


ये आज़ादी का जलसा था मगर धरने पे बैठे तुम

बताओ जश्न में किस मुल्क में गाना ग़मी का है


जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


18 comments:

  1. वाह
    वाह
    वाह

    अनंत शुभकामनाएं
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. आदरणीया डॉ0 वर्षा जी आप खुद एक बेहतरीन ग़ज़लगो के साथ अन्य विधाओं की सशक्त कवयित्री हैं आपकी प्रशंसा मिलना प्रसन्न कर जाता है।हार्दिक आभार ।सादर प्रणाम

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  2. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय।सादर अभिवादन

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19-03-2021 को चर्चा – 4,002 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  4. न चूड़ी है, न बिंदी है ,न कंगन ,माँग टीका है

    ये औरत कामकाजी है ये चेहरा इस सदी का है

    बदलते दौर में औरत हवा में जेट उड़ाती है

    न अब नाज़ुक कलाई है भले चेहरा परी का है

    बहुत खूब,सही कहा आपने ये चेहरा इस सदी का है,लाज़बाब गजल सादर नमन

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  5. वाह-वाह तुषार जी ! बहुत ख़ूब !

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  6. बहुत सुन्दर.

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  7. बहुत सुंदर सृजन।

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  8. बहुत ही सुंदर लयबद्ध गज़ल, ऊपर से स्त्री शक्ति की सराहना, सुंदर रचना मन मोह गई, नई ब्लॉगर हूं, पता नहीं चल रहा था आपके ब्लॉग के बारे में,आपकी सुंदर रचनाओं को पढ़ने के लिए फॉलो कर लिया ।

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    1. हार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन |अच्छी टिप्पणियाँ कुछ अच्छा लिखने की प्रेरणा देती हैं |सादर

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  9. शानदार लेखन

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    1. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन

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  10. बहुत बहुत सुन्दर प्रशंसनीय गजल

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