Wednesday, 20 August 2025

एक गीत -गा रहा होगा पहाड़ों में कोई जगजीत

 

चित्र साभार गूगल

एक गीत -मोरपँखी गीत 


इस मारुस्थल में 
चलो ढूँढ़े 
नदी को मीत.
डायरी में 
लिखेंगे 
कुछ मोरपँखी गीत.

रेत में 
पदचिन्ह होंगे 
या मिटे होंगे,
बेर से 
लड़कर 
हरे पत्ते फटे होंगे,
फूल के 
ऊपर लिखेंगे 
तितलियों की जीत.

घाटियों में 
रंग होंगे 
हरापन होगा,
जहाँ तुम 
होगी वहाँ 
कुछ नयापन होगा,
इन परिंदो 
के यहाँ 
होगा सुगम संगीत.

आदिवासी 
घाटियों में
रंग सारे हैं,
अतिथि
स्वागत में
सभी बाहें पसारे हैं,
गा रहा होगा
पहाड़ी धुन
कोई जगजीत.

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक गीत -गा रहा होगा पहाड़ों में कोई जगजीत

  चित्र साभार गूगल एक गीत -मोरपँखी गीत  इस मारुस्थल में  चलो ढूँढ़े  नदी को मीत. डायरी में  लिखेंगे  कुछ मोरपँखी गीत. रेत में  पदचिन्ह होंगे ...