Tuesday, 23 March 2021

एक होली गीत-पिचकारी वाले दिन

 

चित्र साभार गूगल

एक होली गीत-पिचकारी वाले दिन 

राग-रंग पर

बंदिश है

पिचकारी वाले दिन ।

बरसाने

क्या सोच रहा

तैयारी वाले दिन ।


कोरोना

विष पंख

लगाए अभी उड़ानों में,

दो गज दूरी

मंत्र सरीखा

अब भी कानों में,

मन के

राम सिया भूले

फुलवारी वाले दिन ।


इन्द्र धनुष

हम देख 

न पाए गोरे गालों के,

रंग रह

गए सादा

रेशम की रूमालों के,

टेसू और

गुलालों के

लाचारी वाले दिन ।


खुशबू नहीं

हवा में

कैसे खिड़की खोलेंगे,

संकेतों

में नमस्कार

हम कैसे बोलेंगे,

लौटा दो

मौसम चम्पा की

क्यारी वाले दिन ।


राग 

पहाड़ी हो या

होरी काफी वाली हो,

मौसम के

हाथों में

हर ताले की ताली हो,

भाँग

धतूरे के संग 

हों पौहारी वाले दिन ।

जयकृष्ण राय तुषार 


चित्र साभार गूगल

19 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 23 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन

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  2. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन।

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  3. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीया डॉ0 वर्षा जी

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  4. बहुत बहुत सरस गीत

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  5. सारे ही दिन कर लिए याद .... होली पर सुन्दर गीत .

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  6. लौटा दो

    मौसम चम्पा की

    क्यारी वाले दिन ।


    काश !! "कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
    बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पलछिन "
    अति सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको

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    1. हार्दिक आभार आपका ।सादर प्रणाम

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  7. बहुत बढ़िया

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  8. लौटा दो

    मौसम चम्पा की

    क्यारी वाले दिन ।
    कितनी सु्दर कविता...कम शब्दों में ढेर अर्थ गढ़ती सुगढ़ कविता👏👏

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    1. आपका हार्दिक आभार |सादर अभिवादन |

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  9. मस्त होली गीत तुषार जी। आशा है होली इसी तरह गाते -हँसते होली बीती होगी। हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🤗🤗

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  10. बहुत सुन्दर मधुर गीत

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