चित्र साभार गूगल |
एक होली गीत-पिचकारी वाले दिन
राग-रंग पर
बंदिश है
पिचकारी वाले दिन ।
बरसाने
क्या सोच रहा
तैयारी वाले दिन ।
कोरोना
विष पंख
लगाए अभी उड़ानों में,
दो गज दूरी
मंत्र सरीखा
अब भी कानों में,
मन के
राम सिया भूले
फुलवारी वाले दिन ।
इन्द्र धनुष
हम देख
न पाए गोरे गालों के,
रंग रह
गए सादा
रेशम की रूमालों के,
टेसू और
गुलालों के
लाचारी वाले दिन ।
खुशबू नहीं
हवा में
कैसे खिड़की खोलेंगे,
संकेतों
में नमस्कार
हम कैसे बोलेंगे,
लौटा दो
मौसम चम्पा की
क्यारी वाले दिन ।
राग
पहाड़ी हो या
होरी काफी वाली हो,
मौसम के
हाथों में
हर ताले की ताली हो,
भाँग
धतूरे के संग
हों पौहारी वाले दिन ।
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 23 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर और सार्थक सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबढ़िया गीत
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका आदरणीया डॉ0 वर्षा जी
Deleteबहुत बहुत सरस गीत
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteआपका हार्दिक आभार
Deleteसारे ही दिन कर लिए याद .... होली पर सुन्दर गीत .
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteलौटा दो
ReplyDeleteमौसम चम्पा की
क्यारी वाले दिन ।
काश !! "कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पलछिन "
अति सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको
हार्दिक आभार आपका ।सादर प्रणाम
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteलौटा दो
ReplyDeleteमौसम चम्पा की
क्यारी वाले दिन ।
कितनी सु्दर कविता...कम शब्दों में ढेर अर्थ गढ़ती सुगढ़ कविता👏👏
आपका हार्दिक आभार |सादर अभिवादन |
Deleteमस्त होली गीत तुषार जी। आशा है होली इसी तरह गाते -हँसते होली बीती होगी। हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🤗🤗
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मधुर गीत
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