लाल किला -चित्र गूगल से साभार |
एक देशगान -कितना सुन्दर, कितना प्यारा
देश हमारा है
कितना सुंदर
कितना प्यारा
देश हमारा है |
नीलगगन के
सब तारों में
यह ध्रुवतारा है |
पर्वत -घाटी
तीर्थ, सलोना
इसे बनाते हैं ,
सारे पावन
ग्रन्थ यहाँ की
महिमा गाते हैं ,
लोकरंग में
गीत सुनाता
यह बंजारा है |
सत्य -अहिंसा
दया -धर्म का
इससे नाता है ,
युद्ध थोपने वालों
को यह
सबक सिखाता है ,
इसका प्रहरी
पर्वत है
सागर की धारा है |
हर मौसम के
रंग यहाँ
फूलों की घाटी है ,
अनगिन
वीर शहीदों की
यह पावन माटी है ,
सत्यमेव जयते
इसका
सदियों से नारा है |
चित्र -गूगल से साभार |
बहुत सुंदर गीत मनभावन ....
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (19-12-2014) को "नई तामीर है मेरी ग़ज़ल" (चर्चा-1832) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर रचना ....गणतंत्र दिवस पर बच्चों के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर देशगान..
ReplyDeleteइस बंजारे का मनभावन गीत (लोकगीत सा सहज ग्राह्य )मुग्ध कर गया !
ReplyDeleteआप सभी का शुक्रिया
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