चित्र-साभार गूगल |
आदि शंकराचार्य महान पंडित मंडन मिश्र को हरा दिए थे लेकिन उनकी विदुषी पत्नी भारती से काम के प्रश्न पर पराजित हुए थे क्योंकि ब्रह्मचारी थे।शंकर से मेरा आशय आदि गुरु शंकराचार्य जी से ही है।सादर
एक ग़ज़ल-
रंगोली की उँगलियों को ये पिचकारी सिखाती है
तजुर्बे से लड़कपन को समझदारी सिखाती है
ये माँ ! रोते हुए बच्चे को किलकारी सिखाती है
ये हिन्दू है तो गीता और रामायण,पढ़ाती है
मुसलमा हो तो रोज़ा और इफ्तारी सिखाती है
ब्रितानी फौज़ से लड़ जाती है झाँसी की रानी बन
नमक का हक़ अदा करना भी झलकारी सिखाती है
हमारे पर्व दिल में रौशनी और रंग भरते हैं
रंगोली फागुनी मौसम में पिचकारी सिखाती है
भरोसा अब भी अपनी देश की सेना पे कायम है
जो सरहद की हिफ़ाज़त और वफ़ादारी सिखाती है
किसी की संधि बीजिंग से किसी की पाक से गुप् चुप
सियासत भी वतन के साथ गद्दारी सिखाती है
अंह जब ज्ञान का बढ़ जाय शंकर हार जाता है
प्रसव का ज्ञान दुनिया को महज नारी सिखाती है
भ्रमर ,तितली ,पतंगे ,संत ,आशिक सब यहाँ आते
सभी को बाँटना खुशबू ये फुलवारी सिखाती है
ये दुनिया नाट्यशाला है सभी का रोल अपना है
विदूषक को हँसाने की अदाकारी सिखाती है
ये लड़की चल रही रस्सी पे इसको मत हुनर कहना
गरीबी भी जमाने को कलाकारी सिखाती है
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-03-2021) को
"ख़ुदा हो जाते हैं लोग" (चर्चा अंक- 3996) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार मीना जी आपका।आपको हृदय से अभिवादन
Deleteआह तुषार जी ! दिल जीत लिया आपकी ग़ज़ल ने ।
ReplyDeleteआदरणीय माथुर साहब आपका हृदय से शुक्रिया।सादर प्रणाम सहित
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 04 मार्च 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार आदरणीय
Deleteअदरणीय अग्रवाल साहब मैं जब भी आपका लिंक यहाँ से खोलता हूँ नहीं खुलता |पता नहीं क्यों
Deleteकिसी की संधि बीजिंग से किसी की पाक से गुप् चुप
ReplyDeleteसियासत भी वतन के साथ गद्दारी सिखाती है
गज़ब ही लिखा है ।बहुत बढ़िया
आपका हृदय से आभार |सादर प्रणाम
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल।
ReplyDeleteहार्दिक आभार अदरणीय |सादर प्रणाम
Deleteसुंदर शब्दों के समायोजन के साथ, शानदार ग़ज़ल के लिए आपको बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका आदरणीय
Deleteवाह!बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार आदरणीया अनिता जी
Deleteहमेशा की तरह लाज़बाब,सादर नमन आपको
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार आदरणीया कामिनी जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब गजल...एक से बढ़कर एक शेर।
आपका बहुत बहुत आभार।सादर अभिवादन
Deleteतजुर्बे से लड़कपन को समझदारी सिखाती है
ReplyDeleteये माँ ! रोते हुए बच्चे को किलकारी सिखाती है
वाह !!!
उम्दा ग़ज़ल !!!
आदरणीया डॉ0 शरद जी आपका हृदय से आभार।सादर प्रणाम
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