चित्र साभार गूगल |
एक गीत-
पता-ठिकाना
लिखने वाला
नाम हमारा लिखता है ।
ख़त में जो
मज़मून लिखा है
और किसी का दिखता है ।
मेरा किस्सा
कैसे होता
मैं तो इक बंजारा हूँ
झरने-बादल
ढूंढ रहा हूँ
मरुथल का चिंकारा हूँ
लिखने वाला
प्यास हमारी
और के नाम से लिखता है ।
तरु की छाया
फूल न कोई
गर्म हवा के साथ तपन,
आदमख़ोर
धूप के पंजों से
घायल कुछ और हिरन ,
आँधी और
अगन में
कितनी देर हरापन टिकता है ।
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
सुन्दर नवगीत।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक ११-०३-२०२१) को चर्चा - ४,००२ में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
हार्दिक आभार आपका आदरणीय विर्क जी
Deleteभावों से मालामाल मस्त गीत तुषार जी।👌👌👌🙏🙏💐💐
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार ।भगवाल भोलेनाथ आप। पर अपनी कृपा बनाये रक्खें।आपका जीवन प्रसन्नता का सागर रहे।
Deleteबहुत खूबसूरत गीत सर 👌👌👏👏👏
ReplyDeleteहमारे ब्लॉग पर भी आइए और अपनी राय व्यक्त कीजिए🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हार्दिक आभार मनीषा जी।आप यशस्वी हों
Deleteबहुत सुंदर नवगीत।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।आपकी यशकीर्ति सुख सौभाग्य में वृद्धि हो
Deleteबहुत सुंदर गीत! अहसासों की सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपका हार्दिक आभार।भगवान आपको यशस्वी बनाएं उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य प्रदान करें
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।शिवरात्रि आपको उत्तम स्वास्थ्य और सुख समृद्धि प्रदान करे
Deleteबहुत प्यारा गीत ।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार। भगवान शिव के द्वादश शिवलिंग आपका मंगल करें
Deleteमहाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।आपको भी महाशिवरात्रि की अशेष शुभकामनाएं
Deleteआपकी अभिव्यक्तियां तो स्तब्ध कर देती हैं तुषार जी । प्रशंसा करना भी दोहराव लगने लगता है ।
ReplyDeleteआदरणीय भाई साहब माथुर जी।आपकी प्रशंसा और स्नेह अभिभूत कर देता है।आपको सादर प्रणाम ।
Deleteबहुत सुंदर भाव 🙏 भोलेबाबा की कृपादृष्टि आप पर सदा बनी रहे।🙏 महाशिवरात्रि पर्व की आपको परिवार सहित शुभकामनाएं
ReplyDeleteभाई राजपुरोहित जी आपका हृदय से आभार
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