Saturday, 13 March 2021

एक गीत-गीत सुनाऊँगा

 

चित्र साभार गूगल

एक गीत-

इस पठार पर

फूलों वाला

मौसम लाऊँगा ।

मैं अगीत के

साथ नहीं हूँ

गीत सुनाऊँगा ।


तुलसी की

चौपाई

मीरा के पद पढ़ता हूँ,

आम आदमी

की मूरत

कविता में गढ़ता हूँ,

ताज़ा

उपमानों से

अपने छन्द सजाऊँगा ।


एक उबासी

गंध हवा में

दिन भर बहती है,

क़िस्सागोई से

हर संध्या

वंचित रहती है,

नदी

ढूँढकर मैं

हिरनी की प्यास बुझाऊँगा ।


मौन लोक में

लोकरंग का

स्वर फिर उभरेगा,

ठुमरी भूला

मगर

कभी तो मौसम सुधरेगा,

मैं गोकुल

बरसाने 

जाकर वंशी लाऊँगा ।

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल



21 comments:

  1. मौन लोक में लोकरंग का स्वर फिर उभरेगा, ठुमरी भूला मगर कभी तो मौसम सुधरेगा । यही आशा है तुषार जी । और आप अगीत के साथ कभी रहिएगा भी नहीं । आपकी लेखनी तो गीतों के लिए ही है । जहाँ तक इस नग़मे की बात है तो बस यही कहना है कि बेकस ज़िंदगी और नाउम्मीद दिल की तीरगी में उम्मीद की शमा जला दी है इसने ।

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    1. भाई माथुर साहब आपका हृदय से आभार ।आप जैसी बेहतरीन टिप्पणी बहुत कम देखने को मिलती है।मेरा सौभाग्य है आपको मेरे गीतों में कुछ अच्छा लगता है।सादर प्रणाम

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  2. बहुत सुन्दर

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    1. आपका हृदय से आभार सर ।सादर प्रणाम

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  3. आम आदमी

    की मूरत

    कविता में गढ़ता हूँ,

    खूबसूरत भाव

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    1. सादर अभिवादन।आपका हृदय से आभार ।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-03-2021) को    "योगदान जिनका नहीं, माँगे वही हिसाब" (चर्चा अंक-4005)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    Replies
    1. आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 14 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. बेहतरीन सृजन

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  7. वाह सुन्दर भाव सृजन

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  8. तुलसी की
    चौपाई, मीरा के पद पढ़ता हूँ
    आम आदमी की मूरत
    कविता में गढ़ता हूँ,
    आदरणीय जयकृष्ण जी, गीत लेखन की विधा बहुत कम लोग आत्मसात कर पाते हैं। मेरी भी यही प्रिय विधा है और मेरे ब्लॉग पर आपको अधिकतर गीत ही मिलेंगे। गेय कविता अधिक समय तक स्मृति में बनी रहती है। हालांकि अगीत कविताओं में भी बहुत अच्छे भाव उकेरे गए हैं, उकेरे जा रहे हैं परंतु आपके गीत बहुत सुंदर हैं। गेयता के साथ सार्थकता का संगम, मौलिक उपमाओं का प्रयोग बहुत कम देखने में आता है।
    क़िस्सागोई से हर संध्या वंचित रहती है,
    नदी ढूँढकर मै हिरनी की प्यास बुझाऊँगा ।
    बहुत सुंदर ! अच्छे साहित्य के रसिकों की प्यास बुझाने में आपके गीत निरंतर सफल हों, यही शुभेच्छा !!!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी ।आपको सप्रेम अभिवादन ।

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  9. बहुत सुंदर मन भावन रचना ।

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    1. हार्दिक आभार आपका जिज्ञासा जी

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  10. बहुत ही सुन्दर मधुर गीत

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