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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
एक गीत -गंगा जैसा मन पावन हो
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
सन 23 भी
रहा बहुत शुभ
सन 24 भी मंगल हो.
गंगा जैसा
मन पावन हो
सरयू जैसा निर्मल हो.
लोक कला, संगीत
और साहित्य
राष्ट्र की वाणी हो,
घर घर
सुख समृद्धि बाँटती
भारत माँ कल्याणी हो,
दूध -भात
बच्चों के मुख में
और आँख में काजल हो.
राजनीति में
शुचिता आये
कटुता से संवाद न हो,
धरती पर
वसंत की आभा
पतझर का अवसाद न हो,
माथे पर
सिंदूर प्रेम से
भरा बहू का आँचल हो.
मंदिर, मस्जिद
चर्च, पगोडा
गुरूद्वारे में फूल चढ़े,
स्वाभिमान के
साथ तिरंगा
लेकर भारत देश बढ़े,
शंखनाद, शहनाई
के संग ढोल,
मज़ीरा, मादल हो.
आँखों में
किरकिरी नहीं हो
सुन्दर दृश्य दिखाई दे,
इस समाज को
फिर से काशी
तुलसी की चौपाई दे,
फिर कबिरा
रैदास कठौती
में गंगा की हलचल हो.
कवि /गीतकार