Wednesday, 3 April 2013

'अनभै साँचा 'हिंदी त्रैमासिक का समकालीन हिंदी ग़ज़ल विशेषांक -एक नज़र


हिंदी त्रैमासिक पत्रिका 'अनभै साँचा 'का ग़ज़ल विशेषांक -एक नज़र 


साहित्य और संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका अनभै साँचा कल डाक से मिली सुखद अनुभूति हुई |यह पत्रिका का उनतीसवां अंक है ,जो समकालीन हिन्दी ग़ज़ल विशेषांक है |यह विशेषांक भी नया ज्ञानोदय की तर्ज [हाल ही में प्रकाशित ग़ज़ल महाविशेषांक ] पर नये -पुराने ग़ज़लकारों की गजलों से सजा एक संग्रहणीय अंक बन पड़ा है |पत्रिका में मेरी दो पुरानी ग़ज़लें सम्पादक द्वारा कहीं से प्राप्त कर प्रकाशित कर दी गयीं हैं ,पता में मामूली त्रुटि भी है |लेकिन पढ़कर अच्छा लगा इस पत्रिका के परामर्श दाता जाने -माने कवि डॉ 0 केदारनाथ सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी जी हैं |अंक का विशेष सम्पादन ज्ञानप्रकाश विवेक  ने किया है |सम्पादन सहयोग अनामिका ,जगमोहन राय ,विक्रम सिंह ,हरियश राय ,बली सिंह ,मनोज सिंह और ऋचा का है |पत्रिका के सम्पादक द्वारिका प्रसाद चारुमित्र हैं |यह पत्रिका खुबसूरत कवर से सजी कुल एक सौ बयानबे पृष्ठ की है |पत्रिका को सम्पादकीय के अतिरिक्त कुल तीन खण्डों में विभाजित किया गया है |प्रथम खण्ड में आलेख के अन्तर्गत शलभ श्रीराम सिंह ,डॉ मधुकर खराटे ,महेश अश्क और सुल्तान अहमद के आलेख हैं |विशेष सम्पादकीय में ज्ञानप्रकाश विवेक की कलम से जो कुछ उचित समझा गया है लिखा गया है |छन्द विधा में गीत हो या ग़ज़ल आलेख कहीं न कहीं मित्रों दोस्तों तक सिमट जाते हैं |इस सन्दर्भ में लेखकों को कुछ और ईमानदार होने की आवश्यकता है | हमारी विरासत के अन्तर्गत अमीर खुसरो ,कबीर ,प्यारेलाल शोकी ,किशोरीलाल 'प्रेमघन 'स्वामी रामतीर्थ 'सनेही ',मैथिलीशरण गुप्त ,जयशंकर प्रसाद ,निराला ,भारतेन्दु हरिश्चंद्र और शमशेर बहादुर सिंह की ग़ज़लें शामिल हैं |समकालीन ग़ज़लें शीर्षक के अन्तर्गत दुष्यन्त कुमार से लेकर कुल 78 शायर शामिल किये गए हैं |  चारुमित्र जी के सम्पादन में एक उत्कृष्ट पत्रिका निकल रही है और यह अंक तो विशेष रूप से सराहनीय है |

पत्रिका का नाम -अनभै साँचा 
सम्पादक -द्वारिका प्रसाद चारुमित्र 
अंक -समकालीन हिंदी ग़ज़ल विशेषांक 
मूल्य -साठ रूपये 
सम्पादकीय पता -
148,कादंबरी ,सेक्टर -9,रोहिणी ,दिल्ली -110085
mob.no.09811535148

3 comments:

  1. सुन्दर परिचय कराया है आपने इस महत्वपूर्ण विशेषांक से . हार्दिक बधाई ..

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  2. sundar prastuti aur acchi jankari .aapki rachnaye sada dil ke karib hoti hai , ..samiksha ke saath yadi wah bhi yahan padhne ko milti to aur bhi anand dugna ho jata .

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  3. परिचय का आभार, सुन्दर प्रयास ऐसे ही सामने ला़ये जाते रहें।

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