चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -रूप मौसम की तरह
आपका रूप लगे खिलते गुलाबों की तरह
मन की सुंदरता भी है अच्छी किताबों की तरह
ज़िन्दगी दरिया सी कश्ती भी है तूफ़ान भी है
अच्छे लोगों से मुलाक़ात है ख़्वाबों की तरह
चाँद सूरज तो नहीं आप भी और हम भी नहीं
देश को कुछ तो उजाला दें चिरागों की तरह
यह जगत माया है बस ब्रह्म सनातन सच है
हम इसी दुनिया में उलझे हैं हिसाबों की तरह
कवि /शायर जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 17 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका सादर अभिवादन
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 17 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार. सादर प्रणाम
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteआहा ... हर शेर लाजवाब है गज़ल का ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई साहब. सादर अभिवादन
Deleteखूबसूरत ग़ज़ल।
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई
Deleteवाह
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteखूबसूरत सृजन!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteवाह! बहुत खूब, लाजवाब
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन रूपा जी
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