चित्र साभार गूगल |
एक भक्ति गीत -सबको गले लगाते राम
राजा, रंक, भील, वंचित जन
सबको गले लगाते राम.
सुरसरि, सरयू, सागर के तट
शिव के दीप जलाते राम.
मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर
सुख दुःख संग विष पीते हैं
वनवासी सा जीवन हँसकर
पर्वत, जंगल जीते हैं
शबरी की थाली में जूठन
प्रेम भाव से खाते राम.
परम शक्ति हैं वेद सार हैं
फिर भी निर्मल वाणी है
राम लखन के साथ जगत की
माँ सीता कल्याणी है
गुरु के सम्मुख विनय भाव से
युग युग शीश झुकाते राम.
राम सभी के सभी राम के
निर्गुण, सगुण हृदय में मिलते
कोटि प्रकाश अनंत सनातन
अष्ट कमल सा मन में खिलते
वानर, रीच्छ, गिद्ध, वनवासी
सब पर दया दिखाते राम.
नई अयोध्या सियाराम की
जय बोलो सब पुण्य धाम की
तुलसी, हनुमत, देव ऋषि गण
समझे महिमा राम नाम की
भक्त राम का कीर्तन करते
भक्तों का गुण गाते राम.
कवि /गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
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