चित्र साभार गूगल |
01-01-2024 दैनिक जागरण पुनर्नवा में प्रकाशित |
एक भक्ति गीत -प्रमुदित राम अयोध्या लौटे
प्रमुदित राम
अयोध्या लौटे
शुभ दिन है इस साल का.
भव्य दिव्य
मंदिर स्वागत में
युग बीता तिरपाल का.
कनक भवन से
दिखतीं पावन
लहरें सरयू माता की,
सूर्य रश्मियां
स्वागत में हैं
जग के भाग्य विधाता की,
यह वनवास
नहीं चौदह का
रहा हजारों साल का.
अवध पुरी की
गलियाँ गूंजे
फिर शुभ मंगल गानों से,
पुनः प्रतिष्ठित
हुआ सनातन
अनगिन तप -बलिदानों से,
रावण फिर से
हुआ पराजित
घूमा पहिया काल का.
यज्ञ हवन
वैदिक मन्त्रों से
विश्व शांति,शुभ, मंगल हो,
जहाँ शुष्क हो
धरा प्रेम की
वहाँ भक्ति का बादल हो,
खुशबू रंग
नई आभा ले
खिले कमल हर ताल का.
कवि /गीतकार
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