Monday 30 October 2023

एक गीत -मौसम में जितने भी रंग

चित्र साभार गूगल 

चित्र साभार गूगल 


एक गीत -मौसम में जितने भी रंग उन्हें रहने दो


फूलों को

खिलने दो

नदियों को बहने दो.

मौसम में

जितने भी रंग

उन्हें रहने दो.


झील -ताल

पर्वत, 

ये घाटी, ये देवदार,

केसर, चन्दन

औषधि

नदियों की धवल धार,

तुतलाते

बच्चों सा

इनको कुछ कहने दो.


जनपद के

लोकरंग

मादल, ढपली, मृदंग,

हरे भरे

वन मैना

हिरणों की हो उमंग,

राही को

अनुभव की

धूप -छाँह सहने दो.


दिशा देह -

गंध भरे

खुशबू ले पवन बहे,

दीप जले

रंग उड़े

शिखर कलश ऊँ कहे,

स्मृति में

परी लोक

किस्सों को रहने दो.


कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 

16 comments:

  1. मौसम की खूबसूरती शब्दों के माध्यम से महसूस कराती बहुत सुंदर रचना सर।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ३१ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. बहुत खूबसूरत रचना ...

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  3. सुंदर रचना..
    आभार..
    सादर

    ReplyDelete
  4. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

      Delete
  5. झील -ताल
    पर्वत,
    ये घाटी, ये देवदार,
    केसर, चन्दन
    औषधि
    नदियों की धवल धार,
    तुतलाते
    बच्चों सा
    इनको कुछ कहने दो.
    .
    अत्यंत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  6. प्रकृति के प्राकृतिक खजानों को शब्दों में सहेज कर सुंदर सृजन।

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  7. आपकी किसी भी रचना के पारायण के उपरांत कुछ कहने का नहीं, स्तब्ध रहकर उस काव्याभिव्यक्ति के सौंदर्य को अनुभूत करने का मन होता है। यह अति सुंदर रचना भी अपवाद नहीं।

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    Replies
    1. भाई साहब आपका स्नेह है सादर अभिवादन. आपका हृदय से आभार

      Delete

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