Friday, 29 April 2022

राष्ट्र के नाम एक ग़ज़ल -अब राम को बनवास अयोध्या न दे कभी

 

चित्र सभार गूगल

चित्र सभार गूगल


राष्ट्र को समर्पित एक ग़ज़ल -


हर लाइलाज मर्ज़ का अब तो निदान हो

सबके लिए समानता का संविधान हो


हिन्दु,मुसलमाँ, सिक्ख,ईसाई न हो कोई

पहले वो हिंदुस्तानी हो ऐसा विधान हो


सत्ता के लोभ में जो यहाँ मुल्क बेचते

उनके लिए फिर काला पानी अंडमान हो


इस देश को बचाइये मजहब की आग से

भारत की जिसमें जय हो वो पूजा अज़ान हो


उसको सदन में भेजिए हरगिज न आप भी

जिसकी ज़ुबाँ पे देश विरोधी बयान हो


जलसे,जुलुस,दंगे न शाहीन बाग़ हो

कानून की सड़क पे सभी का चालान हो


कुछ मानसिक विक्षिप्त जो सेना को कोसते

बुलडोज़रों की ज़द में अब उनका मकान हो


अब राम को अयोध्या न वनवास दे कभी

सरयू किनारे शंख बजे दीपदान वो

कवि/शायर जयकृष्ण राय तुषार


चित्र सभार गूगल

4 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (1-5-22) को "अब राम को बनवास अयोध्या न दे कभी"(चर्चा अंक-4417) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
  2. 'कुछ मानसिक विक्षिप्त जो सेना को कोसते

    बुलडोज़रों की ज़द में अब उनका मकान हो'--- वाह क्या खूब कहा है!

    ReplyDelete
  3. वाह!बेहतरीन ।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर आदरणीय , जय हिन्द ।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

गीत नहीं मरता है साथी

  चित्र साभार गूगल एक पुराना गीत - गीत नहीं मरता है साथी  गीत नहीं  मरता है साथी  लोकरंग में रहता है | जैसे कल कल  झरना बहता  वैसे ही यह बहत...