चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल राष्ट्र को समर्पित
तिलक चन्दन का,मिट्टी यज्ञ की ,गंगा का पानी है
ये भारत भूमि ईश्वर की लिखी मौलिक कहानी है
यहीं गीता,यहीं सीता,ये धरती सप्तऋषियों की
ये घाटी ब्रह्मकमलों की यहीं शिव की भवानी है
इसे आतंक से अब तोड़ने का ख़्वाब मत देखो
यहाँ योगी का शासन है गुरु गोरख की बानी है
मुकुट भारत का नवरत्नों का यह फीका नहीं होगा
ये चिड़िया स्वर्ण की असली,नहीं सोने का पानी है
हिफ़ाज़त में हमारे मुल्क की एक शाह बैठा है
हमारी सैन्य ताकत से सुरक्षित राजधानी है
यहाँ काशी,अयोध्या,द्वारिका,कामाख्या भी है
यहाँ की सभ्यता और संस्कृति सदियों पुरानी है
ये भारत माँ भरत,लव कुश,भगत,एकलव्य की जननी
यहाँ पारिजात भी खिलता है ,इसमें रात रानी है
कवि जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०७-०४ -२०२२ ) को
'नेह का बिरुआ'(चर्चा अंक-४३९३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आपका हार्दिक आभार।अनिता जी नमस्कार।
Deleteभारत की सांस्कृतिक,राजनैतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता शानदार गीत तुषार जी।हार्दिक धन्यवाद और आभार आपका 🙏🙏🌺🌺
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।सादर नमस्कार रेणु जी।
Deleteवाह!
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन।
Deleteबहुत सुंदर गजल।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।सादर नमस्कार ज्योति जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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