Wednesday 6 April 2022

एक ग़ज़ल राष्ट्र को समर्पित

 

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल राष्ट्र को समर्पित


तिलक चन्दन का,मिट्टी यज्ञ की ,गंगा का पानी है

ये भारत भूमि ईश्वर की लिखी मौलिक कहानी है


यहीं गीता,यहीं सीता,ये धरती सप्तऋषियों की

ये घाटी ब्रह्मकमलों की यहीं शिव की भवानी है


इसे आतंक से अब तोड़ने का ख़्वाब मत देखो

यहाँ योगी का शासन है गुरु गोरख की बानी है


मुकुट भारत का नवरत्नों का यह फीका नहीं होगा

ये चिड़िया स्वर्ण की असली,नहीं सोने का पानी है


हिफ़ाज़त में हमारे मुल्क की एक शाह बैठा है

हमारी सैन्य ताकत से सुरक्षित राजधानी है


यहाँ काशी,अयोध्या,द्वारिका,कामाख्या भी है

यहाँ की सभ्यता और संस्कृति सदियों पुरानी है


ये भारत माँ भरत,लव कुश,भगत,एकलव्य की जननी

यहाँ पारिजात भी खिलता है ,इसमें  रात रानी है

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


10 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०७-०४ -२०२२ ) को
    'नेह का बिरुआ'(चर्चा अंक-४३९३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. आपका हार्दिक आभार।अनिता जी नमस्कार।

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  2. भारत की सांस्कृतिक,राजनैतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता शानदार गीत तुषार जी।हार्दिक धन्यवाद और आभार आपका 🙏🙏🌺🌺

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    1. आपका हृदय से आभार।सादर नमस्कार रेणु जी।

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  3. Replies
    1. आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन।

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  4. बहुत सुंदर गजल।

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    1. आपका हृदय से आभार।सादर नमस्कार ज्योति जी

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