Monday, 25 April 2022

एक गज़ल-सब तेरी झील सी आँखों को ग़ज़ल कहते हैँ

 

चित्र साभार गूगल


एक गज़ल-

सब तेरी झील सी आँखों को ग़ज़ल कहते हैँ


बर्फ़ जब धूप में पिघले तो सजल कहते हैं

सब तेरी झील सी आँखों को ग़ज़ल कहते हैँ


होंठ भी लाल,गुलाबी हैँ,फ़िरोजी, काही

इनको शायर क्या सभी लोग कंवल कहते हैँ


आज भी दुनिया में कुछ लोग कबीलाई हैँ

ऐसी सूरत को क्या दुनिया में बदल कहते हैँ


इस शहर में भी किताबों के समंदर हैँ कई

जिसमें"आमोद' उसे "राजकमल" कहते हैँ


अब भी चूल्हों की जो उम्मीद है दुनिया भर में

गाँव के लोग उसे अब भी फसल कहते हैँ

जयकृष्ण राय तुषार

श्री आमोद माहेश्वरी


6 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-4-22) को "संस्कार तुम्हारे"(चर्चा अंक 4411) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका।सुप्रभात जी

      Delete
  2. वाह बहुत खूब

    ReplyDelete
  3. इस शहर में भी किताबों के समंदर हैँ कई

    जिसमें"आमोद' उसे "राजकमल" कहते हैँ



    अब भी चूल्हों की जो उम्मीद है दुनिया भर में

    गाँव के लोग उसे अब भी फसल कहते हैँ

    ;; बहुत खबू

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका।कविता जी सादर प्रणाम

      Delete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -नया साल

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  मौसम की कहानी नई उनवान नया हो  आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  फूलों पे तितलियाँ हों ब...