Saturday, 16 April 2022

एक ग़ज़ल-उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को समर्पित

 

उत्तर प्रदेश के सम्मानीय मुख्यमंत्री जी को समर्पित एक ग़ज़ल

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल-

हरेक रावण की लंका में अब बुल्डोजर चलाता हूँ

कभी मैं शंख,घंटा और कभी डमरू बजाता हूँ

सनातन धर्म का रक्षक हूँ मठ,मन्दिर सजाता हूँ


मनोहर स्फटिक पर अब सिया संग राम बैठे हैं

मैं सरयू के किनारे अब विजयदशमी मनाता हूँ


कोई राक्षस न अब सीताहरण की बात सोचेगा

हरेक रावण की लंका में अब बुल्डोजर चलाता हूँ


हमारे वेद,गीता,ऋषि युगों से राष्ट्र गौरव हैं

सुशासन से मैं अपने राष्ट्र का गौरव बचाता हूँ


ये काशी कालभैरव,शिव के संग गंगा की थाती है

मैं मोदी की नई काशी को अपना सिर झुकाता हूँ


न वैभव की मुझे लिप्सा गुरू गोरख की महिमा है

मैं अनहद नाद की महिमा से भी परिचित कराता हूँ


मेरे शासन में बकरी,बाघ तट पर साथ रहते हैं

जो नरभक्षी है उनका घर जहन्नुम में बनाता हूँ

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


8 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-4-22) को "कोटि-कोटि वन्दन तुम्हें, पवनपुत्र हनुमान" (चर्चा अंक 4403) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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  2. सराहनीय ग़ज़ल ।हमेशा की तरह ।
    बहुत शुभकामनाएँ आपको ।

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    1. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन

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  3. बहुत सुंदर! योगी जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश वाक़ई उत्तम बन रहा है

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    1. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन करते

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  4. न वैभव की मुझे लिप्सा गुरू गोरख की महिमा है
    मैं अनहद नाद की महिमा से भी परिचित कराता हूँ

    उत्तम तुषार जी, सच्चे कर्मयोगी के नाम सार्थक पाती

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  5. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन

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