Tuesday, 3 August 2021

एक गीत-हरे धान के इन फूलों में

 

चित्र साभार गूगल



एक गीत-हरे धान के इन फूलों में


हरे धान के

इन फूलों में

चावल होंगे काले-गोरे ।


बादल-बिजली

धूप-छाँह में

हँसते हैं,बतियाते हैं ये,

चिकनी,भूरी

करइल,दोमट

सबमें गीत सुनाते हैं ये,

बच्चे उड़ते

पंख लगाकर

दूध -भात के देख कटोरे ।


कभी मूँगारी

हो जाते हैं कभी

जलप्रलय में बहते हैं,

पक जाने पर

रंग सुनहरे

लिए हमेशा ये रहते हैं,

इनकी आमद से

भर जाते कितने

कोठिला,कितने बोरे ।


मजदूरिन

होठों की लाली

इनसे ही कंगन औ बाली,

चिरई -चुनमुन

कजरी गैया

सबकी भरती इनसे थाली,

अक्षत,तिलक

यजन की वेदी

रस्म निभाते चावल कोरे ।

कवि-जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


10 comments:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 4 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. आदरणीया पम्मी जी सादर अभिवादन।आपका हृदय से आभार।

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  2. बहुत सुंदर सृजन आदरनीय ।

    सादर

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  3. अक्षत,तिलक

    यजन की वेदी

    रस्म निभाते चावल कोरे ।---बहुत ही अच्छी और महत्वपूर्ण विषय पर रचना।

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  4. बहुत सुंदर रचना।
    कमाल का प्रवाह है सर।

    प्रणाम
    सादर।

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  5. बहुत सुन्दर

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय

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