एक आस्था का गीत-लोकभाषा में
सरयू माँ तोहरे संग राम कै कहानी
युग-युग तक उमर बढै
घटै नहीं पानी ।
सरयू माँ तोहरे संग
राम कै कहानी ।
राम,लखन सबके
तू गोद में खेलवलू
जनकसुता सीता कै
माँग भी सजवलू
राम कै बखान
करै तुलसी कै बानी ।
रक्खे लू खबर मइया
सबही के प्यास कै
कइसे तू दृश्य देखि
जियलू बनवास कै
जोगी औ जोगन
होइ गएन राजा रानी।
पंचवटी,ऋष्यमूक
पग-पग भटकावै
भवसागर पार करै
जे दरसन पावै
प्रभु कै प्रसाद
कन्दमूल और पानी ।
सबरी कै भक्ति भाव
देखि के अघइलें
राम जी कै हनुमत
सुग्रीव सखा भइलैं
सोने के लंका कै
मिटल सब निशानी।
साधु,संत औ गृहस्थ
तोहरे तट आवै
आपन सुख-दुःख
तोहरे लहर से सुनावै
तोहईं से अन-धन ,वन
खेत औ किसानी ।
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल सरयू नदी |
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (13-08-2021) को "उस तट पर भी जा कर दिया जला आना" (चर्चा अंक- 4155) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
बहुत ही सुन्दर...
ReplyDeleteवाह!!!
हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteबेहद खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत सुंदर...।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteलोक भाषा का सुंदर गीत।
हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
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