Monday, 30 August 2021

एक गीत सामयिक-फिर बनो योगेश्वर कृष्ण

 


एक सामयिक गीत

फिर बनो योगेश्वर कृष्ण


फिर बनो

योगेश्वर कृष्ण

उठो हे पार्थ वीर ।

हे सूर्य वंश के

राम

उठा कोदण्ड- तीर ।


जल रहा

शरीअत की

भठ्ठी में लोकतंत्र,

अब भारत

ढूंढे विश्व-

शान्ति का नया मन्त्र,

भर गयी

राक्षसी 

गन्धों से पावन समीर।


इन महाशक्तियों

के प्रतिनिधि

अन्धे, बहरे,

ये सभी

दशानन हैं

इनके नकली चेहरे,

सब अपने

अपने स्वार्थ

के लिए हैं अधीर।


इतिहास

लिखेगा कैसे

इस युग को महान,

नरभक्षी

रक्तपिपासु

घूमते तालिबान,

रावलपिंडी

दे रही

इन्हें मुग़लई खीर ।



8 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-8-21) को "कान्हा आदर्शों की जिद हैं"'(चर्चा अंक- 4173) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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  2. भगवान कृष्ण और श्री राम के चरित्र से प्रेरणा ही प्रेरणा मिलती है, गहन विचार,बहुत सुंदर, सामयिक तथा सारगर्भित भी,आप को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।

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    1. आपके सुंदर कमेंट्स बेहतर लिखने की प्रेरणा मिलती है |हार्दिक आभार आपका

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  3. वीर रस और आव्‍हान से भरी रचना---जो ताल‍िबान और रावलप‍िंडी तक की कथा को समेट रही है---वा‍ह तुषार जी

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    1. हार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन |

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  4. बहुत खूब | कृष्णजन्माष्टमी की शुभकामनायें

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    1. आपका हृदय से आभार |सादर अभिवादन |

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