Wednesday, 18 August 2021

एक सांकेतिक गीत-वह राम विजय ही पाएगा

 


एक सामयिक सांकेतिक गीत-वह राम विजय ही पाएगा


रावण कितना

बलशाली हो

हर युग में मारा जाएगा ।

जिसका

चरित्र उज्ज्वल होगा

वह स्वयं राम हो जाएगा ।


सिंहासन का

परित्याग किये,

अपहरण राम कब करते हैं,

केवट से

विनती करके ही

गंगा के पार उतरते हैं,

जो सबका

आँसू पोछेगा

वह राम विजय ही पाएगा ।


स्त्री,बच्चों पर

जुल्म करे जो

कायर ,नहीं प्रतापी है,

जो खड़ा 

समर्थन में इनके

वह युगों-युगों का पापी है,

मुट्ठी भर

सूरज का प्रकाश 

मीलों तक तम को खाएगा ।


वह नहीं

राष्ट्र का नायक है

जो रण में पीठ दिखाता है,

जो मरे 

राष्ट्र की रक्षा में

युग-युग तक पूजा जाता है,

तूफ़ान 

गिरा दे पेड़ भले

पर्वत से क्या टकराएगा ।


हर भाँति

प्रजा के मंगल

के खातिर होता सिंहासन है,

कुछ दूर

हमारी सरहद से

धृतराष्ट्र,शकुनि,दुःशासन है,

फिर चीरहरण

से महाशक्तियों

का मस्तक झुक जाएगा ।


कवि -जयकृष्ण राय तुषार

8 comments:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (20-08-2021) को "जड़ें मिट्‌टी में लगती हैं" (चर्चा अंक- 4162) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन

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  2. अत्यन्त सुन्दरतम कृति । हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका अमृता जी।

      Delete
  3. बहुत अच्छी रचना

    ReplyDelete

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