एक सामयिक सांकेतिक गीत-वह राम विजय ही पाएगा
रावण कितना
बलशाली हो
हर युग में मारा जाएगा ।
जिसका
चरित्र उज्ज्वल होगा
वह स्वयं राम हो जाएगा ।
सिंहासन का
परित्याग किये,
अपहरण राम कब करते हैं,
केवट से
विनती करके ही
गंगा के पार उतरते हैं,
जो सबका
आँसू पोछेगा
वह राम विजय ही पाएगा ।
स्त्री,बच्चों पर
जुल्म करे जो
कायर ,नहीं प्रतापी है,
जो खड़ा
समर्थन में इनके
वह युगों-युगों का पापी है,
मुट्ठी भर
सूरज का प्रकाश
मीलों तक तम को खाएगा ।
वह नहीं
राष्ट्र का नायक है
जो रण में पीठ दिखाता है,
जो मरे
राष्ट्र की रक्षा में
युग-युग तक पूजा जाता है,
तूफ़ान
गिरा दे पेड़ भले
पर्वत से क्या टकराएगा ।
हर भाँति
प्रजा के मंगल
के खातिर होता सिंहासन है,
कुछ दूर
हमारी सरहद से
धृतराष्ट्र,शकुनि,दुःशासन है,
फिर चीरहरण
से महाशक्तियों
का मस्तक झुक जाएगा ।
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (20-08-2021) को "जड़ें मिट्टी में लगती हैं" (चर्चा अंक- 4162) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteसुंदर सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteअत्यन्त सुन्दरतम कृति । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका अमृता जी।
Deleteबहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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