मेरी पत्नी के स्मृतिशेष पिता और माँ मेरी माँ की कोई तस्वीर नहीं है |
मातृदिवस पर सभी माताओं को समर्पित शब्द पुष्प
माँ तुम गंगाजल होती हो
मेरी ही यादों में खोयी
अक्सर तुम पागल होती हो
माँ तुम गंगाजल होती हो
जीवन भर दुख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों सा
मन का सूना संवत्सर
जब -जब हम गति लय से भटकें
तब -तब तुम मादल होती हो
व्रत -उत्सव मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड़कर
आजीवन झूला करती हो
तुम कार्तिक की धुली -
चाँदनी से ज्यादा निर्मल होती हो
पल -पल जगती सी आँखों में
मेरी खातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती
जब -जब ये आँखें धुंधलाती
तब -तब तुम काजल होती हो
हम तो नहीं भागीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो खुद ही गंगाजल हो
तुझको हम किस जल से तारें
तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
बहुत ही भावपूर्ण, मां को समर्पित सुंदर कविता 💐💐🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteati bhavpurn, naman vandan
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteहार्दिक आभार आपका सर
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