चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -वैभवशाली देश हमारा क्यों इतना बदहाल है
वैभवशाली
देश हमारा
क्यों इतना बदहाल है |
रामकृष्ण
टैगोर को भूला
हिंसा में बंगाल है |
अब ज़्यादा
उम्मीद न करना
बच्चों उजली खादी से ,
हिन्दू संस्कृति
ख़तरे में है
डायन की आज़ादी से ,
गंगासागर
और हाबड़ा
ब्रिज पर फिर बेताल है |
नहीं माब -
लिंचिंग का हल्ला
चुप क्यों है हर चीनी दल्ला ,
अवसरवादी
निर्वचनों से
संविधान हो गया निठल्ला ,
धमकी
और पैसों पर बिकता
लोकतन्त्र कंगाल है |
सिस्टम वही
गुलामी वाला
मंथर गति से चलता है ,
फाइल पर
फाइल बैठाकर
जन मानस को छलता है ,
आगजनी है
तोड़फोड़ है
सुनियोजित हड़ताल है |
वृक्ष पी गए
हवा नदी भी
अपना जल पी जाती है ,
खुशबू वाले
फूलों पर भी
अब तितली मर जाती है ,
काजल वाली
मृगनयनी
आँखों में टूटा बाल है |
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 07-05-2021) को
"विहान आयेगा"(चर्चा अंक-4058) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद
…
"मीना भारद्वाज"
आपका हृदय से आभार |
Deleteसुन्दर प्रविष्टि
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन सर
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना । सादर शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteबहुत सटीक!
ReplyDeleteवेदना है रचना में ,तंज के साथ।
अप्रतिम।
हार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन |
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