Thursday, 6 May 2021

एक गीत -वैभवशाली देश हमारा क्यों इतना बदहाल है

 

चित्र -साभार गूगल 


एक गीत -वैभवशाली देश हमारा क्यों इतना बदहाल है 

वैभवशाली 
देश हमारा 
क्यों इतना बदहाल है |
रामकृष्ण 
टैगोर को भूला 
हिंसा में बंगाल है |

अब ज़्यादा 
उम्मीद न करना 
बच्चों उजली खादी से ,
हिन्दू संस्कृति 
ख़तरे में है 
डायन की आज़ादी से ,
गंगासागर 
और हाबड़ा 
ब्रिज पर फिर बेताल है |

नहीं माब -
लिंचिंग का हल्ला 
चुप क्यों है हर चीनी दल्ला ,
अवसरवादी 
निर्वचनों से 
संविधान हो गया निठल्ला ,
धमकी 
और पैसों पर बिकता 
लोकतन्त्र कंगाल है |

सिस्टम वही 
गुलामी वाला 
मंथर गति से चलता है ,
फाइल पर 
फाइल बैठाकर 
जन मानस को छलता है ,
आगजनी है 
तोड़फोड़ है 
सुनियोजित हड़ताल है |


वृक्ष पी गए 
हवा नदी भी 
अपना जल पी जाती है ,
खुशबू वाले 
फूलों पर भी 
अब तितली मर जाती है ,
काजल वाली 
मृगनयनी 
आँखों में टूटा बाल है |
स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी 


10 comments:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 07-05-2021) को
    "विहान आयेगा"(चर्चा अंक-4058)
    पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद

    "मीना भारद्वाज"

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रविष्टि

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन सर

      Delete
  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना । सादर शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  4. बहुत सटीक!
    वेदना है रचना में ,तंज के साथ।
    अप्रतिम।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन |

      Delete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

मौसम का गीत -ढूँढता है मन

  चित्र साभार गूगल ढूंढता है मन शहर की  भीड़ से बाहर. घास, वन चिड़िया  नदी की धार में पत्थर. नीम, पाकड़  और पीपल की घनी छाया, सांध्य बेला  आरती...