चित्र -साभार गूगल भारत माता |
एक गीत -गमले पर मत उछलो भाई
मिल जुल कर सब हाथ बढ़ाओ
इस भारत को बदलो भाई |
सूरज उगने में देरी हो
तो मशाल ले निकलो भाई |
भारत अब लाचार नहीं हो
सिस्टम अब बीमार नहीं हो
कहीं कोई व्यभिचार नहीं हो
घर घर हाहाकार नहीं हो
टीवी पर विज्ञापन केवल
नेता का किरदार नहीं हो
संकट में जब देश फँसा हो
तब विपक्ष गद्दार नहीं हो
आज़ादी है लोकतन्त्र है
अब क्या दिक्कत सम्हलो भाई |
नकली दावा दूध में पानी
बदले कितने राजा रानी
बिकती हवा सिलिन्डर चोरी
नर्सिंग होम की सीनाजोरी
प्यास लगी तब कुआँ खोजते
ढूँढ रहे सब लोटा डोरी
कुछ तो हो ईमान देश में
कौन बने भगवान देश में
गीता ,ग्रंथ कुरान ,बाइबिल
सिर पर अपने रख लो भाई |
जनता भी कुछ सुधरे थोड़ा
बीच सड़क पर बिगड़ा घोड़ा
वोटर का ईमान बिका है
लोकतन्त्र यह मगर टिका है
स्वार्थ लोभ की राजनीति में
गोमुख वाली गंगा छोड़ो
सरहद हो या घर के अंदर
हर दुश्मन की बाँह मरोड़ो
पीपल ,बरगद ,नीम लगाओ
गमले पर मत उछलो भाई |
सेना से अनुशासन सीखो
संस्कार योगासन सीखो
राजनीति में कदम रखो तो
बोली ,बानी ,भाषन सीखो
सोने की चिड़िया गूँगी है
जंगल उसका होंठ सी गया
कौन खा गया दाना उसका
उसका पानी कौन पी गया
खुद भी बचो बचाओ सबको
कोरोना से निकलो भाई |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल पीपल वृक्ष |
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