Wednesday, 19 May 2021

एक गीत -ऐसा मौसम फिर कब आयेगा

 

चित्र -साभार गूगल 


एक गीत -
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

बंजर में फूल की कहानी हो 
बेला महके या रातरानी हो 
नदियों में निर्मल सा पानी हो 
पानी में पारियों की रानी हो 
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

आँगन में उतरा इक बादल हो 
मृगनयनी आँखों में काजल हो 
झीलों में खिला -खिला शतदल हो 
सूनेपन में वंशी -मादल हो 
बजरे पर तानसेन गायेगा 
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

खेतों में बासमती धान हो 
मेड़ों की दूब पर किसान हो 
होंठो के बीच दबा पान हो 
मंदिर में यज्ञ और दान हो 
कोई तो शंख को बजाएगा 
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

मेघों में नाचती बदलियाँ हो 
फूलों पर भ्रमर हों, तितलियाँ हों 
तालों में तैरती मछलियाँ हों 
झूलों के होंठ पर कजलियाँ  हों
सावन फिर चूड़ियाँ सजायेगा 
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

छत तोड़ें कहकहे दालानों के 
शटर उठें बंद सब दुकानों के 
झुमके हों रत्नजड़ित कानों के 
नुक्कड़ फिर सजें चाय -पानों के 
धूपी चश्मा दिल छू जायेगा 
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

संध्या को रोज दिया -बाती हो 
धूप-छाँह आती हो जाती हो 
शुभ का संदेश लिए पाती हो 
नींद सुखद स्वप्न को सजाती हो 
सूरज फिर किरन को सजायेगा 
ऐसा मौसम फिर कब आयेगा 

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र -साभार गूगल 



6 comments:

  1. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार सर \सादर अभिवादन

      Delete
  2. प्रार्थना तो यही है (आपकी, हमारी और हम जैसे सभी की) कि ऐसा मौसम शीघ्र ही पुनः आए। शेष तो भाग्य है, प्रारब्ध है, नियति है। आपकी कविताओं को पढ़ने का आनंद ही कुछ और है तुषार जी। आपके शब्द ही मन को महका देते हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका अदरणीय माथुर साहब |सादर अभिवादन |

      Delete
  3. अद्भुत! मंत्रमुग्ध कर देने वाला चित्रण।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका \सादर अभिवादन

      Delete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -नया साल

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  मौसम की कहानी नई उनवान नया हो  आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  फूलों पे तितलियाँ हों ब...